रिश्तों की अहमियत

हेली ऑफिस से आते ही सोफे पर गिर गयी। थकान से उसका शरीर टूट रहा था। फिर अचानक उसे घर के सामने लगे पेड़ के नीचे बैठे बिखरे बाल, बड़ी दाड़ी और फटेहाल व्यक्ति की याद आयी, जो उसे अपलक नेत्रों से निहारा करता मानो उसके आने की प्रतीक्षा में ही बैठा हो। इधर कुछ दिनों से ऑंफिस जाते और आते समय वह पेड़ की छांव में बैठा नज़र आ जाता है। आखिर वह कौन है जो उसे देखने के लिए अपनी पलके बिछाये रहता है? चेहरा जाना-पहचाना प्रतीत हो रहा था। वह याद करने लगी कि वह कौन हो सकता है? लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था। आखिर उस व्यक्ति में ऐसा कौन-सा आकर्षण है जो उसके मन-मस्तिष्क को विचलित कर रहा था? ऐसा कौन-सा संबंध है, जो उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहा है? आखिर उसकी आंखें किसे तलाश रही है? न जाने कितने सवाल उसके मन-मस्तिष्क में कौंधने लगे। 
वह सोफे से उठकर खिड़की से बाहर झांकने लगी। वह व्यक्ति अभी भी पेड़ के नीचे बैठा उसके घर की ओर ही देख रहा था। उसने कभी अपने आपको इतना असहज और अकेला महसूस नहीं किया था जितना आज महसूस कर रही थी। जब अजय उसे छोड़कर गया था, तब रश्मि पेट में थी। उस समय तो यह अकेलापन महसूस नहीं होता था, लेकिन आज 17 साल बाद उस व्यक्ति को देखकर अपना अतीत क्यों याद आने लगा?
वह सोफे पर आकर बैठ गयी और घर की छत को एकटक निहारते हुए अपने अतीत में खो गयी। वह अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी और उसकी शादी अमीर घराने के इकलौते बेटे अजय के साथ हुई थी। अजय का बहुत बड़ा कोराबार था। जब वह पहली बार अजय के घर दुल्हन बनकर आयी थी तो लगा कि खुशियों के पर लग गये हों। उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां थी। वह थी इतनी खूबसूरत कि अजय सारा दिन घर में बैठा उसकी खूबसूरती का दीदार करता रहता। सारे मोहल्ले में उसकी खूबसूरती की चर्चा होती थी। वह अजय के प्यार में डूब गयी थी। फिर उसे बैंक में नौकरी लग गयी और अजय को समझाते हुए बोली-मैं तुम्हारे पास ही रहूंगी। कहीं जाने वाली नहीं हूं। अब अपने कारोबार पर ध्यान दो। मेरी खूबसूरती निहारने से काम नहीं चलेगा।’
‘क्या करूं तुम्हारी खूबसूरती में इस कदर डूब गया हूं कि किसी काम में मन नहीं लगता? जब तुम कहती हो तो तुम्हारे आदेश का पालन करना ही होगा।’ अजय उसके गालों को चूमते हुए बोला। 
अजय का कारोबार फैलता गया और वह काम के सिलसिले में बाहर ही रहने लगा। महीना में एक-दो दिन के लिए घर आता। हेली शादी के बाद भी अकेले जीवन जीने को विवश थी। 
रश्मि उस समय एक वर्ष की होगी। हेली ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी और अपना मोबाइल फोन बिस्तर पर ही छोड़ दिया था। अजय महीनों बाद घर आया था। फोन की घंटी बजी। अजय मोबाइल उठा लिया। विजय का कॉल था। विजय हेली के साथ बैंक में काम करता था। वह उसका कॉल डिटेल्स देखने लगा। हेली घंटों उससे बातें करती थी। 
तभी फिर फोन की घंटी बजी और अजय ने फोन रिसीव कर कहा-‘हेली तैयार हो रही है।’ और उसने फोन काट दिया। 
इतने में हेली वहां आ गयी और बोली-‘किसका फोन था?’
वह बोला-‘आखिर मामला क्या है? यह विजय कौन है?’
‘मेरे साथ ही बैंक में काम करता है। मेरा बहुत अच्छा दोस्त है।’ हेली बोली। 
‘दोस्त है या कुछ और। तुम्हारे मोबाइल पर यह न जाने कितनी बार फोन किया और तुम उससे घंटों बातें करती हो?’ अजय काफी कटु स्वर में बोला। 
‘तुम्हारे कहने का मतलब क्या है? वह केवल एक दोस्त के नाते फोन करता है। इसका गलत अर्थ मत लगाओ।’ हेली उसकी ओर देखते हुए बोली। 
‘पति की अनुपस्थिति में घंटों बातें करना का क्या अर्थ हो सकता है?’ अजय बोला। 
‘तुम्हारे कहने का यही मतलब है न उससे मेरा क्या संबंध है? समझ लो उससे मेरा संबंध है। तुम अपने काम में इतने व्यस्त रहते हो कि पत्नी और बच्ची का हाल-चाल जानने की भी फुर्सत नहीं है। तुम्हें इस बात का एहसास है कि एक अकेली औरत की ज़िंदगी कैसे काटती होगी? सच्चा हमसफर वही है जो सुख-दुख में साथ रहे। संबंध का यह अर्थ नहीं कि औरत अकेली तड़पती रहे और मर्द कहीं और ऐय्याशी करता रहे। सच्चा संबंधी वही है जो रिश्तों की मर्यादा को बरकरार रखें।’ हेली बोली। 
यह सुनते ही अजय चीख पड़ा-‘क्या बकवास कर रही हो? तुम्हारे इस संबंध को समाज मान्यता नहीं देगा? समाज की नज़रों में तुम गिर जाओगी। तुम्हारा यही न कहना है कि विजय ही तुम्हारा अपना है। मेरा उसके सामने कोई वजूद नहीं। मैं तुम्हें उससे संबंध बनाने से रोकने वाला कौन होता हूं? तुम्हारी जो मर्जी आये सो करो। हर किसी को अपना संबंधी बना लो।’
‘आज तुम समाज की दुहाई दे रहे हो। उस समय समाज याद नहीं आया जब मैं अकेली इस बच्ची का पालन-पोषण करती रही। उस समय तुम कहां थे? मैं अकेली घुट-घुटकर जीवन जीती रही। लोगों के ताने सुनकर भी तुम्हारी यादों के सहारे इस अकेलापन को झेलती रही। उस समय संबंध याद नहीं आया। संबंध का अर्थ तुम क्या समझोगे? संबंध का अर्थ यह नहीं कि मेरा हर किसी से गलत संबंध है। संबंध तो भाई-बहन और मां-बाप का होता है। अब तुम इस संबंध का क्या अर्थ लगाते हो, यह मैं नहीं जानती? मेरी निगाहों के पीछे तुम भी न जाने कितनों से संबंध बनाये होगे? मैंने तुमसे कभी इस बारे में पूछा, क्योंकि मैं तुम पर भरोसा करती हूं कि तुम मुझे धोखा नहीं दोगे।’ हेली बोली।  (क्रमश:)

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