पंजाब में बेलगाम होता गैंगस्टरवाद
पंजाब में विगत कुछ दशक पूर्व उभरे गैंगस्टरवाद और गुण्डागर्दी के प्रभाव ने एक बार फिर प्रदेश की शांति और कानून-व्यवस्था को बीच चौराहे पर लाकर चुनौती दी है। इसने बेशक पंजाब के अतिरिक्त देश के अन्य भागों में मौजूद पंजाबियों के लिए गम्भीर चिन्ता की स्थिति पैदा कर दी है। प्रदेश के अनेक कानून-प्रिय वर्गों जिनमें व्यवसायी, उद्योगपति, डाक्टर, वकील, न्यायवादी और अन्य कई प्रकार के समूह और धनी-मानी लोग शामिल हैं, को फिरौती एवं रंगदारी हेतु धमकियां देने, उन पर गोलियां चलाने और इनमें से अनेक की हत्या कर देने जैसी इनकी कार्रवाइयों ने पूरे पंजाबी समुदाय को चिन्तित और दहशतज़दा किया है। इस गैंगस्टरवाद की देखा-देखी छिट-पुट गुण्डा तत्वों ने भी प्रदेश में अपना सिक्का जमा रखा है। लूटपाट, छीना-झपटी अर्थात स्नैचिंग और बात-बात पर तलवारबाज़ी एवं गोलियां चलाना इनके लिए आम बात जैसा हो गया है। देश और प्रदेश में सक्रिय ऐसे कुछ गैंगस्टरों और गुण्डा-बदमाश तत्वों की दबंगता का आलम यह है कि अव्वल तो पकड़े नहीं जाते। पुलिस एवं प्रशासन तंत्र भी इनसे कन्नी काट जाने को प्राथमिकता देता है। ये पकड़े भी जाएं तो जेलों में भी इनकी अपनी सरकार चलती है। जेलों में बैठकर भी ये न केवल अपनी धौंस जमाते हैं, अपितु फिरौती एवं रंगदारी मांगने से लेकर वसूली करने जैसी गतिविधियों का संचालन भी करते हैं। अदालतों में इनके विरुद्ध कोई ठोस गवाही अथवा सबूत न होने से भी ये लोग अक्सर बरी अथवा दोष-मुक्त हो जाते हैं। जेलों में मोबाइल सैट मिलने और गैंगस्टरों की इंटरव्यू तक हो जाने की घटनाएं इन्हें महिमा-मंडित भी करती हैं, और इससे इन्हें अपने गैंग की भर्ती मिलने की सम्भावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
प्रदेश में गैंगस्टरों और गुण्डा-तत्वों की सत्ता चलने का आलम यह है कि एक-एक दिन में गोली मारने और हमला करने की कई-कई घटनाएं होने लगी हैं। इसी वर्ष 12 मई को एक ही दिन में बटाला के गांव मूलियांवाल में अपने घर के भीतर बैठे एक व्यक्ति की, घर में घुसे अज्ञात लोगों द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई जबकि एक अन्य घटना में अमृतसर के रमदास क्षेत्र के गांव सुधार में एक अस्पताल के डाक्टर को गोली मार कर गम्भीर रूप से घायल कर दिया गया। इन तत्वों के हौसले आज इतना बुलंद हो गये हैं कि वे खुलेआम पुलिस प्रशासन और उसकी सत्ता-व्यवस्था को चुनौती देने लगे हैं। फिल्मी स्टाइल से पुलिस और गुण्डा-तत्वों के बीच गोलीबारी आम बात हो गई है। ऐसी एक ताज़ा घटना फिरोज़पुर पुलिस और एक कुख्यात गैंगस्टर के बीच भिड़न्त होने की है जहां हिरासत में लिये गये एक गुण्डा तत्व ने छिपा कर रखी पिस्तौल से गोली चला दी। जवाबी गोली से वह घायल भी हो गया। तरनतारन में कुछ अज्ञात लोगों द्वारा कांग्रेस के ब्लाक-प्रधान और बटाला में एक पूर्व सरपंच की हत्याएं भी इसी समस्या को उजागर करती हैं। छोटी-मोटी बात पर गुण्डा तत्वों द्वारा आम लोगों को तेजधार हथियारों से काट देने की घटनाएं भी प्रतिदिन का किस्सा हो गई हैं। किस्साकोताह, कभी रंगीला पंजाब कहलाने वाला, गिद्दे और भंगड़े का सिरदार पंजाब आज गैंगस्टरों और गुण्डों के रहम-ओ-करम पर जीने को विवश हो गया प्रतीत होता है। अभी हाल में एक गुण्डा तत्व द्वारा भरी अदालत में एक महिला वकील को थप्पड़ मार देने की घटना भी गुण्डों के बढ़ते दु:साहस को दर्शाती है।
नि:संदेह पंजाब प्रदेश की यह स्थिति बेहद भयावह और ख़ौफज़दा करने वाली है। यह भी, कि नेता और राजनेता लोग तो अपना बचाव करने हेतु स्वयं सक्षम हो जाते हैं, किन्तु एक आम आदमी पूर्णतया निराश्रित होकर जीने को अभिशप्त हो गया प्रतीत होता है। उसकी तो किसी भी ओर कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। हम समझते हैं कि इस समस्या का निदान करने के लिए स्वयं सरकार और सत्ता-व्यवस्था में दृढ़ इच्छा-शक्ति का बड़ा अभाव प्रतीत होता है। नि:संदेह मीडिया खासकर ई-मीडिया की स्वछन्दता और प्रशासनिक कोताही ने गैंगस्टरों और बदमाशों का परोक्ष रूप से महिमा-मंडन ही किया है।
इस कारण गुण्डागर्दी की घटनाओं में निरन्तर इज़ाफा हुआ है। इसकी रोकथाम हेतु ज़रूरी है कि एक ओर जहां समाज में शिक्षा के प्रसार पर बल दिया जाना चाहिए, वहीं पारिवारिक धरातल पर खो चुके संस्कारों की भी समाज में पुन: प्रतिष्ठा की जाए। प्रशासनिक धरातल पर गैंगस्टरों के विरुद्ध शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जानी चाहिए। पुलिस यह भी पता लगाये कि प्रशासन और जेल प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार की असल वजह क्या है? इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहनशीलता का व्यवहार किया जाना चाहिए। हम समझते हैं कि केवल ऐसा दृष्टिकोण अपना कर ही गैंगस्टरवाद और गुण्डा तत्वों से सफलता-पूर्वक निपटा जा सकता है।

