अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अपनी मज़बूत छवि बनाए रखना ज़रूरी 

विगत लम्बी अवधि से अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार यह बयान देते आए हैं कि भारत रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को कम कर रहा है और तेल खरीदने में भी कमी ला रहा है। उन्होंने कई बार भारत को धमकियां भी दी थीं और भारत से अमरीका को निर्यात होने वाली वस्तुओं पर टैरिफ (टैक्स) को भी काफी सीमा तक बढ़ा दिया था। भारत द्वारा उसकी बात न मानने पर अमरीका भारतीय निर्यातों पर और भी अधिक टैरिफ लगाने की चेतावनी दे रहा है। इसके दृष्टिगत भारत ने कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के देशों से अपने व्यापारिक संबंध मज़बूत किए हैं। कनाडा के साथ भी भारत के व्यापारिक संबंधों में सुधार हो रहा है। विगत दिवस दोनों देशों द्वारा पुन: व्यापार को पटरी पर लाने के लिए विचार-विमर्श किए गए हैं।
ब्रिटेन ने तो भारत के साथ खुले व्यापार संबंधी समझौता भी सम्पन्न कर लिया है। यूरोपियन यूनियन के दर्जनों देश भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गये प्रतिबन्धों और धमकियों के आगे नहीं झुके, अपितु इन देशों ने भी विश्व भर के देशों के साथ आदान-प्रदान और व्यापार के रास्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के देश रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में पूरी तरह यूक्रेन के साथ खड़े दिखाई ही दिखाई नहीं दिए, अपितु उन्होंने अब तक प्रत्येक पक्ष से यूक्रेन की पूरी सहायता भी की है। यही कारण है कि यूक्रेन ने रूस के समक्ष झुकने से इन्कार कर दिया है। जहां तक भारत और रूस के संबंधों की बात है तो ये संबंध भारत के स्वतंत्र होने के बाद सोवियत यूनियन के समय से ही पूरी तरह दोस्ताना बने रहे हैं, जो आज तक भी जारी हैं। पहले सोवियत यूनियन और अब रूस ने भी अन्तर्राष्ट्रीय मामलों पर हमेशा भारत के साथ खड़े होने को प्राथमिकता दी है। यहां तक कि चीन के उसके निकट होने के बावजूद  रूस ने भारत-चीन संबंधों के प्रसंग में चीन का पक्ष नहीं लिया। इसी तरह उसने पाकिस्तान से भी दूरी बना कर रखने का यत्न किया है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अड़ियल रवैये के बावजूद भारत ने समझदारी और परिपक्वता से काम लेते हुए उसके साथ व्यापारिक वार्ता जारी रखी है, परन्तु इसके साथ ही भारत अपना यह रुख भी स्पष्ट करता आया है कि रूस के मामले में उसकी अपनी नीति है, जिसके संबंध में वह समझौता करने के लिए तैयार नहीं। विगत दिवस व्यापार और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जर्मनी में एक समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यापार समझौता आपसी विश्वास का मामला है और लम्बी अवधि से साझेदारी को ध्यान में रख कर ही ऐसे समझौते किए जाते हैं। इस विषय पर अमरीका के साथ विगत अवधि से होती रही लगातार बातचीत संबंधी भी गोयल ने यह स्पष्ट किया है कि दोनों देशों में व्यापार समझौते को लेकर पांच चरणों की वार्ता हो चुकी है। नवम्बर तक आपसी व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने का यत्न किया जा रहा है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विशेष रूप से भारत को रूस से तेल न खरीदने की धमकियां दी हैं, जिसके संबंध में भारत ने अपना रुख हमेशा स्पष्ट रखा है। अब अमरीका ने रूस की दो बड़ी तेल उत्पादक कम्पनियों रोसनैफट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की है, जिसके दृष्टिगत भारत ने इस संबंध में अपनी नई नीति धारण करने की योजना बनाई है और वह रूस के साथ-साथ पश्चिमी एशिया के देशों अमरीका, लातीनी अमरीका, कनाडा और ब्राज़ील आदि देशों से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने का यत्न करने लगा है। इस समय भारत प्रतिदिन रूस से 17 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात करता है। भारत की सरकारी और निजी रिफाइनरियां रूस की रोसनैफट और लुकोइल कम्पनियों से 12 लाख बैरल तेल रोज़ाना खरीदती हैं। इसमें भारी मात्रा में निजी रिफाइनरी रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ लिमटिड और नायरा एनर्जी की भागीदारी है। 
अमरीका ने 21 नवम्बर तक भारत को इन कम्पनियों से तेल न खरीदने की धमकी दी है, जिसके दृष्टिगत भारत अपनी नीति को बदलने या मोड़ देने का यत्न कर रहा है। दूसरी तरफ अमरीका का दावा है कि ट्रम्प के कहने पर भारत रूसी तेल से दूरी बना रहा है। हम समझते हैं कि भारत द्वारा उठाए जाने वाले ऐसे सम्भावित कदम उसकी अन्तर्राष्ट्रीय नीति की  भीतरी कमज़ोरी का दिखावा करते हैं। अब तक ट्रम्प के प्रशासन को किसी तरह से संतुलित या विश्वसनीय नीतियों का परिचायक  नहीं कहा जा सकता। अपने प्रतिदिन बदले बयानों के कारण अमरीका भर में ट्रम्प के विरुद्ध बड़े प्रदर्शन होने लगे हैं। विश्व भर में उनकी नीतियों की आलोचना हो रही है। ऐसी स्थिति में उनकी धमकियों के दृष्टिगत भारत की ओर से दिखाई कमज़ोरी उसकीअन्तर्राष्ट्रीय छवि पर प्रश्न-चिन्ह खड़े कर सकती है। नि:संदेह इस मामले पर भारत को रूस का डट कर साथ देना चाहिए और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकियों के समक्ष झुकने से स्पष्ट रूप पर इन्कार करना चाहिए।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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