हॉकी की लहर बनाने के लिए निजी प्रयासों की ज़रूरत

ड्राईंग रूम में बैठें तो मेजर ध्यान चंद, धनराज पिल्ले की तस्वीरें बहुत प्यार से सजाई हुई मिलीं। हम यह सब कुछ देखकर बहुत खुश हुए। हमें लगा कि वह हॉकी प्रेमी एक अपनी तरफ से एक खूबसूरत योगदान दे रहा है। क्या हम सब इतना भी नहीं कर सकते? हमारी एक विद्यार्थी हॉकी प्रेमी से मुलाकात हुई। उसने बताया कि उनकी फेसबुक आई.डी. हॉकी शब्द से शुरू होती, ई-मेल पता भी हॉकी से शुरू होता है। उन्होंने अपनी भतीजी का नाम ‘हॉकी’ रखा है। उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर भी कालर ट्यून हॉकी के गाने की लगाई हुई है। उन्होंने अपनी कमीज की जेब पर हमेशा हॉकी लिखवाया है। घर की छत पर पानी की टैंकी हॉकी स्टिक के रूप की बनाई है। हम समझते हैं कि यह छोटे-छोटे प्रयास हॉकी लोकप्रियता के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, जब यह बड़े स्तर पर होंगे। हम हॉकी खेल को व्यक्तिगत योगदान देने की उम्मीद उस गीत लेखक से भी करते हैं, जो गाने लिखता है, कि वह हॉकी खेल को समर्पित कोई गीत लिखे सुखविंदर के ‘चक दे इंडिया’ के गीत की तरह हर जुबान पर हॉकी प्रेम चढ़े। किसी गांव या शहर में हॉकी को समर्पित एक हॉकी प्रेमियों का क्लब, सोसायटी बने। कभी-कभी किसी राष्ट्रीय टीम के पूर्व या मौजूदा खिलाड़ी को बुलाकर लैक्चर करवाए जाएं। स्कूलों-कालेजों के खेल समारोहों पर भी मुख्यातिथि के तौर पर हॉकी खिलाड़ियों को बुलाया जाए। कोई चित्रकार हॉकी स्टारों की कलात्मक तस्वीरें बनाए, नाटककार हॉकी खेल पर आधारित नाटक खेलें, लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए। ऐसे हॉकी प्रेमी कार्यों के लिए किसी फंड की ज़रूरत नहीं। किसी से मंजूरी लेने की ज़रूरत नहीं। ज़रूरत है तो सिर्फ हॉकी खेल को उत्साहित करने के लिए जज़्बे की, इच्छा शक्ति की। अगर आपके पास ऐसे काम की शुरुआत करने का हौसला नहीं तो जो ऐसे हॉकी प्रमोशन वाले काम में लगे हैं, उनसे ही जुड़ जाओ। अगर सचमुच आप हॉकी खेल को मोहब्बत करते हैं तो घर ही बैठे भड़ास न निकालें, बाहर समाज में आकर कुछ योगदान डालें।
समय आ गया है कि हर हॉकी प्रेमी यह कहे कि उसका हॉकी खेल के प्रति कोई सपना है, जिसको वह पूरा करेगा। याद रखो। समाज में कोई आगे की ओर कदम बढ़ाने के लिए, कोई अच्छा काम करने के लिए कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए। अगर हॉकी प्रेमी होने के नाते हॉकी को मोहब्बत करने के बावजूद हम इस राष्ट्रीय खेल के लिए कुछ नहीं कर सकते तो फिर हम इन स्नेह नैतिक कर्त्तव्यों से पूरी तरह अनजान, बेखबर हैं। हमें यह लेख लिखने के लिए मजबूर किसी स्कूल के सिद्धार्थ हॉकी नाम के बच्चे ने किया। जो यू-ट्यूब पर भिन्न-भिन्न तरह की हॉकी वीडियो बनाकर अपलोड कर रहा है, फेसबुक पर रोज़ाना खूबसूरत हॉकी कुटेशन्ज़, हॉकी तस्वीरें लगा रहा है। बहुत सुंदर संदेश भेज रहा है, हॉकी मोहब्बत में लबरेज। सिद्धार्थ हॉकी नाम के बच्चे के जज़्बे को सलाम। क्या आप भी कोई योगदान हॉकी खेल को देने के लिए तैयार हैं? क्या आप भी अपने व्यक्तिगत प्रयासों के द्वारा हॉकी क्रांति लाने के लिए तैयार हैं? या फिर आप भी हॉकी खेल की दुर्गति के प्रति मूक दर्शक बने रहने की प्रवृत्ति ही जारी रहेगी। मीडिया हॉकी की बेकद्री करेगा। आप चुप रहोगे, टी.वी. पर हॉकी के मैच नहीं दिखाए जाएंगे, आप जुबान नहीं खोलेंगे, कोई हॉकी रैली आयोजित नहीं करेगा। हॉकी के कद्रदानो? राष्ट्रीय खेल के सम्मान के लिए अब जागने का समय आ गया है। आपके व्यक्तिगत प्रयासों की चिंगारी को सुलगाने का समय आ गया है। क्या आप सब तैयार हैं।