आयरन की सही मात्रा रखती है स्वस्थ

शरीर में आयरन का उचित मात्रा में होना स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है जिससे शरीर चुस्त दुरूस्त रहता है। पर महिलाओं और बच्चों में इसकी सही मात्रा का होना अति आवश्यक माना जाता है।आयरन की मात्रा प्रतिदिन कितनी लेनी चाहिए यह लिंग, उम्र और इंसान के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। बच्चों में आयरन की जरूरत अधिक होती है क्योंकि उनके शरीर के विकास का समय होता है और इस आयु में संक्र मण भी जल्दी होता है। आयरन की उचित मात्रा उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
डाइट में आयरन कहां से प्राप्त करें
हम अपने प्रतिदिन के आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जिससे हम प्राकृतिक रूप से आयरन पा सकें।
हरी सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, बथुआ आयरन के स्रोत हैं। इसके अतिरिक्त ब्रोकली, टमाटर, मशरूम,मटर, बींस, इमली, चुकंदर आदि मौसम अनुसार लेते रहें ताकि शरीर को सही मात्रा में आयरन मिल सके। इनमें से प्रतिदिन कम से कम एक चीज का सेवन अवश्य करें।
फल और सूखे मेवे
अपने नियमित आहार में मौसमी फलों का सेवन अवश्य करें जैसे सेब, अंगूर, केला आदि। सूखे मेवों में खजूर, बादाम, खूबानी, किशमिश, काजू आदि लें। गर्मियों में बादाम, किशमिश, खूबानी भिगो कर ले सकते हैं। 
इसके अतिरिक्त चिकन, साबुत अनाज जैसे सोयाबीन, काले चने, ब्रेड, अंडे, मूंगफली, टूना मछली, गुड़ और पेठे के बीज आदि का सेवन करें। नाश्ते में सप्ताह में कम से कम एक बार पोहे का सेवन करें। पोहा भी आयरन का अच्छा स्रोत माना जाता है।
आयरन की कमी होने पर
हमारे देश में आयरन की कमी महिलाओं और बच्चों में ज्यादा होती है जिससे वे कमजोरी और थकान को महसूस करते हैं। 
आयरन की कमी के कारण आक्सीजन की पूर्ति करने के लिए ह्नदय को अधिक रक्त पंप करना पड़ता है जिससे ह्नदय की धड़कन असामान्य हो जाती हैं और ह्नदय पर दबाव भी ज्यादा पड़ता है। आयरन की अधिक कमी से हार्ट फेल हो सकता है। बच्चों में आयरन की कमी होने से उनके विकास पर प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त बच्चे जल्दी बीमार पड़ते हैं क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे बच्चों के विकास के साथ बच्चों को सीखने की क्षमता और उनकी व्यवहारिक क्षमता भी पूरी विकसित नहीं होती। अगर कभी बच्चों में आयरन की कमी हो तो डाक्टर से जांच करवा कर उनके परामर्श अनुसार बच्चों की डाइट पर ध्यान दें।

(स्वास्थ्य दर्पण)