सर्दियों में सतर्क रहें शूगर पीड़ित

सर्दियों के मौसम की सभी प्रतीक्षा करते हैं। इस मौसम में धूल, गर्मी, बरसात एवं बेचैनी से राहत मिलती है। वर्ष भर के लिए सेहत बनाने, डटकर खाने एवं रात को जीभर सोने को मिलता है किंतु इस लाभ के फेर में हम शरीर एवं सेहत की अनदेखी कर आफत मोल लेते हैं। खानपान की अधिकता की स्थिति में शरीर के भीतर छिपे रोग सिर उठाने लगते हैं। डायबिटिज रोगियों के साथ भी यही होता है। भारत में सर्दियों में डटकर खाने के लिए एक तरह से स्वतंत्रता मिल जाती है। घर में एवं बाहर गर्म स्वादिष्ट व्यंजन मिल जाते हैं जिन्हें खाने को सबकी लार टपकने लगती है किंतु ऐसी स्थिति में डायबिटिज से पीड़ित लोगों को अपने पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसे खानपान के कारण शुगर का स्तर बढ़ जाता है एवं डायबिटिज के खतरे बढ़ जाते हैं इसलिए सर्दियों में शुगर पीड़ितों को अपने स्वास्थ्य एवं खानपान के प्रति जागरूक रहना चाहिए ओर शुगर लेवल एवं समस्या को नियंत्रित रखना चाहिए। सर्दियों में जिन्हें प्री डायबिटिक की स्थिति है, उन्हें सांस लेने में समस्या होती है जबकि डायबिटिज पीड़ितों का शुगर लेवल भोजन के दो घंटे के बाद बढ़ सकता है। इस मौसम में त्वचा में रूखेपन के कारण खुजली होती है। ऐसी स्थिति में अधिक खुजलाने पर त्वचा की पहली परत छिल जाती है जिसके पानी निकलने लगता है और घाव हो जाते हैं। शुगर पीड़ित का यदि शुगर लेवल नियंत्रित नहीं है तब घाव भरने में समय लगता है। ऐसे मरीज की त्वचा छिलना या घाव बनना खतरनाक भी हो सकता है। मधुमेह रोगी को हर हाल में अपना शुगर लेबल नियंत्रित रखना चाहिए एवं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में संतुलित आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन्हें तेल, घी, चिकनाई एवं वसा वाली वस्तुएं अत्यंत कम मात्रा में खानी चाहिए। मौसमी फल सब्जियां खाना चाहिए। यदि और कोई भी बीमारी है तो उसे भी शुगर के साथ नियंत्रित रखना चाहिए। हल्का-फुल्का व्यायाम एवं श्रम भी करना चाहिए। दैनिक धूप का सेवन एवं सामान्य तापमान अथवा हल्के गुनगुने पानी में स्नान करना चाहिए।पैरों पर ध्यान देना चाहिए और खुले पैर चलने से बचना चाहिए। जूते मोजे सही नाप के साथ-साफ सुथरे होने चाहिए। संतुलित मात्रा में भोजन सलाद, दूध व दही लेना चाहिए। किसी के आग्रह या भोजन के स्वादिष्ट होने के बाद भी उसका सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए। डिब्बा बंद, बोतल बंद, प्रोसेस्ड वस्तुओं एवं होटल के भोजन में नमक एवं शक्कर की अधिक मात्रा होती है। इनसे बचना चाहिए।
क्या खाएं, क्या न खाएं
डायबिटिज के रोगी के सामने क्या खाएं एवं क्या न खाएं को लेकर सदैव उलझन भरी स्थिति रहती है। इसे ध्यान में रखकर शुगर लेवल एवं उसकी परेशानी से बच सकते हैं जबकि लापरवाही बरतने पर शुगर पीड़ित की स्थिति बिगड़ सकती है। एक बारगी कभी भी अधिक मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए। इससे शुगर लेवल तेजी के साथ बढ़ता है। भोजन संतुलित मात्रा में एवं हर चार घंटे में थोड़ा-थोड़ा करना चाहिए। तेल, मक्खन, घी, वसा एवं चिकनाई वाले पदार्थों का अत्यंत कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। सभी मीठे पदार्थों की मात्रा सीमित एवं प्रसाद जैसा थोड़ा-सा ही होना चाहिए। डिब्बाबंद, बोतलबंद एवं प्रोसेस्ड व रिफाइड वस्तुओं से बचना चाहिए। आलू, अरबी, केला, आम, चीकू, लीची, अंगूर, मिल्क शेक, फ्रूट जूस, मेवा मिठाई से दूरी रखनी चाहिए। ब्रेड, चावल, दाल आदि डाक्टर की सलाह के अनुसार लें। संतरा, सेब, पपीता, अमरूद आदि प्रतिदिन ले सकते हैं। दूध-दही आदि सामान्य मात्रा में लें। सूप एवं नारियल पानी भी ज्यादा मात्रा में न लें। सलाद, अंकुरित अनाज, खीरा, मूली, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां शिमला मिर्च, लौकी ले सकते हैं। रोटी के लिए अच्छी क्वालिटी के गेहूं, काला चना एवं जौ से बने मिश्रित आटे का उपयोग करें।

(स्वास्थ्य दर्पण)