श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है शिवालिक पहाड़ियों में स्थित कालेश्वर महादेव मठ

यमुनानगर, 2 जनवरी - यमुनानगर ज़िले की शिवालिक पहाड़ियों में स्थापित कालेश्वर महादेव मठ श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। जगाधरी-पांवटा नेशनल हाईवे पर कलेसर के जंगल के बीच स्थित यह मठ लोक समन्यव का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर की ख्याति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नव वर्ष पर हजारों लोग रोजाना 4000 साल पुराने कालेश्वर मठ के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। मंदिर के सेवादार आत्माराम बताते हैं कि यहां से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के त्रिकोण पर स्थित श्री कालेश्वर महादेव मठ जो प्राचीन और धार्मिक ऐतिहासिक है। यहां पर खोदाई में निकले पत्थर शिलाओं से पता चलता है कि प्राचीनकाल की संस्कृति में सांकेतिक भाषाओं का प्रयोग किया जाता था। पौराणिक मान्यता है कि इस मठ में स्वयं भगवान शिव स्वयंभू लिंग के रूप में विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि यह 4000 साल से भी पुराना है जिस जगह पर कालेश्वर मठ स्थापित है वह कभी जंगल हुआ करते थे। चोरों ने एक समय यहां से भैंसे चुरा ली थी जो भूरे रंग की थी लेकिन यहां पहुंचते ही उनका रंग काला हो गया। उन्होंने बताया कि महात्मा के पास एक मानी थी उसे पर अकबर की नजर पड़ गई तो उन्होंने इस महात्मा जी से मांग लिया जब महात्मा जी ने उन्हें देने से मना कर किया तो उन्होंने यह मनी इतनी कुंड में फेंक दी जब पत्नी को लोहे जंजीर डालकर पानी में भेजा गया जब वह बाहर निकली तो वह सोने की। उन्होंने यह भी बताया कि आज जिस जगह पर महात्मा जी की समाधि है वह यहां जिंदा ही अपनी समाधि बनाकर चले गए।

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