चीन की महान दीवारजहां दफन हैं हज़ारों जिंदा लोग

उसने अपने रहने के लिए एक विशाल व अद्भुत महल का निर्माण कराया था। यह महल 10000 कमरों का था। वह अपने जीवन के अंत तक 27 वर्ष इस महल में रहा और एक कमरे में दूसरी रात नहीं सोया। हर रात उसके लिए एक अलग रानी होती थी। उसने 13 हज़ार औरतों से विवाह किया था और 2800 सन्तानों को जन्म दिया था। यह कोई काल्पनिक वृत्तान्त नहीं है। यह चीन का अद्भुत सम्राट शिंह हुआंग था जिसका नाम चीन की महान दीवार के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा है। चीन की उत्तरी सीमा पर मध्येशिया तक फैली 1500 मील लम्बी चीन की महान दीवार के बारे में बच्चा-बच्चा जानता है। यह दीवार हूण आदि युद्धरत जातियों से बार-बार के आक्रमणों से बचाव के लिए ईसा से 200 वर्ष पूर्व तैयार की गई थी। 125 फीट लम्बी इस दीवार पर चढ़कर इसकी 15 फीट चौड़ी सड़क पर अश्वारोही पहरा देते थे।दीवार पर हर 200 गज पर बड़ी-बड़ी मीनारें थीं जहां दूर-दूर तक दुश्मन का पता लगाने के लिए दूरबीनें लगी रहती थीं।  आवश्यक युद्ध सामग्री भी वहां तैनात रहती थी। जब निक्सन ने 1972 में चीन की यात्रा की थी, तो वह इस महान दीवार को देखने विशेष तौर से गये थे। इस दीवार ने न केवल कई हमलों से चीन की रक्षा की अपितु विश्व का इतिहास भी बदल दिया। इस दीवार के कारण हूण चीन में घुसने से वंचित रहे। विश्व में यह सबसे बड़ी अद्भुत व एकमात्र दीवार है। इस को बनाने के दौरान 10 लाख से अधिक चीनी मज़दूर और गुलाम मारे गये थे। अनेक अन्य इस दीवार में ज़िन्दा दफन कर दिये गये थे। इस दीवार से भी अधिक अद्भुत तथ्य यह है कि इसके निर्माता चीनी शासक शिंह हुआंग के बारे में विश्व कम ही जानता है।बेहद प्रतापी, साहसी, दूरदर्शी परन्तु क्रूरतम शिंह हुआंग चीन राज्य की रानी का अवैध पुत्र था। 12 वर्ष की उम्र में ही वह अपने राज्य का राजा हो गया था पर 25 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते उसने सारे चीन के राज्यों को जीत कर पहली बार एक देश में बदल दिया। उसने सामन्ती प्रथा खत्म कर दी व ज़मीन किसानों को बांट दी जिससे वे उसके प्रशंसक हो गए।अब उसने अपने निरंकुश शासन की सुरक्षा के लिए कदम उठाये। हुआंग इस निश्चय पर पहुंचा कि विद्वान व विचारक जब तक रहेंगे, उसके निरंकुश शासन को खतरा रहेगा अत: उसने समूची किताबें जलाने का हुक्म दिया। शिंह हुआंग विश्व का पहला पुस्तक जलाने वाला व्यक्ति था। जिन विद्वानों ने अपनी पुस्तकें छिपाकर सुरक्षित रखने की कोशिश की, उन्हें पकड़ कर महान दीवार के निर्माण में गुलाम मज़दूर बनाकर भेज दिया गया। इस तरह राज्य में एक-एक किताब का नामो-निशान मिटाकर ही वह संतुष्ट हुआ।उसका साम्राज्य जितना बढ़ता गया, उतनी ही उसकी कू्ररताएं बढ़ती गईं। उसके विरुद्ध षड्यंत्र भी बढ़ते गये। वह सदा अपने घुटनों में एक तलवार दबाकर बैठता। किसी भी षड्यंत्रकारी के पकड़े जाने पर खुद उस तलवार से उसे कत्ल करता पर इतनी सतर्कताओं के बाद भी उसके विरुद्ध षड्यंत्रकारी बढ़ते गये। यहां तक कि एक बार वह षड्यंत्र दबाने बाहर गया तो वहीं उसका अंत हो गया।उसकी मृत्यु का समाचार जनता से छिपाकर रखा गया जिससे गृहयुद्ध न छिड़ जाये। अब समस्या यह थी कि उसके शव को राजधानी तक कैसे पहुंचाया जाये। इसके लिए मंत्रियों ने उसके शव को मृत मछलियों से ढक दिया जिससे उसके शव की गंध न आये। जब उसका शव राजधानी में महल तक आया तो उसका उत्तराधिकारी सबसे बड़ा लड़का महान दीवार के निर्माण के निरीक्षण पर गया था। महल में मौजूद द्वितीय पुत्र हु-हाई जो पिता से क्रूरता के पाठ सीख चुका था, जानता था कि भाई पिता की आज्ञा आंखें भींचकर मानता है, अत: उसने बड़े भाई को पत्र लिखा कि सम्राट ने उसे अपनी आत्महत्या की आज्ञा दी है। जैसा कि उसने सोचा था, बड़े भाई ने आत्महत्या कर ली और हु-हाई नया सम्राट हो गया।उसने सम्राट हो जाने पर अपने पिता की शानदार अंत्येष्टि की व्यवस्था की। उसके लिए विशाल कब्र बनवाई। शिंह हुआंग के शव के साथ पूरे साम्राज्य का नक्शा तांबे की प्लेट पर बनाकर रखा गया। उसके समय तैयार हुई चीन की श्रेष्ठ कलाकृतियां व स्वर्ण के सिक्के भी वहां रखे गये। इस कब्र की छत जवाहरात से सजाई गई। कब्र में ऐसी मशीनें लगाई गई कि वहां घुसने का यत्न करते ही स्वत: तीरों की बौछार होने लगे।जब कब्र पूरी बन गई तो स्वर्गीय सम्राट का शानदार जनाज़ा शानो-शौकत से कब्र तक ले जाया गया जिसमें लाखों शोक मनाने वाले लोग थे। जब स्वर्गीय सम्राट का शव कब्र में दफन किया गया तो तीर छोड़ने वाली उक्त मशीन ईजाद करने वाले सभी कारीगर, सम्राट की सैकड़ों प्रिय रानियां, स्वर्गीय सम्राट के सबसे निष्ठावान मंत्री, उच्च अधिकारी व परिवार के लोग  भी शव के साथ ही जिन्दा कब्र में दफन कर दिये गये। फिर कब्र को अच्छी तरह बंद कर दिया गया।इस तरह उसका पुत्र हु-हाई निष्कटक होकर गद्दी पर बैठा क्योंकि उसने स्वर्गीय पिता के साथ उसके सभी प्रिय लोगों को भी जिंदा ही स्वर्ग भेज दिया था। वह भी कम क्रूर नहीं था। उसकी पीढ़ियां बहुत समय तक चीन पर शासन करती रहीं। सन् 1912 तक यह साम्राज्य चीन पर शासन करता रहा। उसके बाद गृहयुद्ध के परिणामस्वरूप चीन में साम्यवादी गणराज्य कायम हुआ।स्वर्गीय सम्राट की कब्र में कोई और तो नहीं घुसा पर उसके प्रति लोगों की घृणा इतनी थी कि उसकी कब्र पर लोग कूड़ा-कर्कट व अपवित्र चीज़ों को फेंक कर अपना विरोध प्रकट करते थे। वहां के आसपास की भूमि उन्होंने खोद डाली। सारा क्षेत्र लोगों ने गंदा कर दिया। कब्र के चिन्ह वगैरह सब नष्ट कर दिये गये। यहां तक कि एक समय आया कि इतिहास के लिए कब्र को खोज पाना भी कठिन हो गया। आज केवल चीन की महान दीवार ही उस अत्यंत प्रतापी सम्राट की कब्र मानी जाती है। (अदिति)