नवाज़ शरीफ फार्म हाऊस अप्रैल 1998 में

25 जुलाई, 2018 में होने वाले आम चुनावों से सिर्फ 19 दिन पहले पाकिस्तान सरकार नवाज़ शरीफ को 10 वर्ष के लिए जेल भेजने का मुख्य मकसद उनको तथा उनकी बेटी और दामाद को चुनावों से दूर रखना ही है। नवाज़ शरीफ पर आय से अधिक सम्पत्ति का दोष लगाया गया है। बेटी पर इस अमल में सहायक होने का और दामाद पर जानकारी में सहायक होने का। बेटी मरियम को सात वर्ष की सज़ा सुनाई गई है और दामाद सफदर को एक वर्ष की। मौजूदा शासकों द्वारा यह सज़ा कोई अर्थ नहीं रखती। 1999 में शरीफ को जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने सैन्य कार्रवाई से हटा दिया था। वह वाला अमल भी मुस्लिम तानाशाही के समान का नहीं था। औरंगज़ेब ने अपनी भाईयों की हत्या करके तख्त सम्भाला था। मुस्लिम शासकों में सत्य को फांसी आम बात है। कल को सच्चाई क्या निकलती है। कल जाने परन्तु मेरे मन में आज नवाज़ शरीफ का मैडीकल सिटी चक्कर लगा रहा है। जो मैंने और दो दर्जन अन्य पंजाबियों ने 1998 में अपनी आंखों से देखा था। 
मियां परिवार ने रायविंड के निकट अपने 700 एकड़ के फार्म हाऊस में एक टैक्नीकल ट्रेनिंग सैंटर ही नहीं, एक बढ़िया पब्लिक स्कूल भी चला रखा था। इस काम्पलैक्स में संस्था के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के नमाज़ पढ़ने के लिए एक आलीशान मस्जिद भी बनाई हुई थी। नाम दिया था शरीफ मैडीकल सिटी और एजुकेशन काम्पलैक्स। स्कूल और काम्पलैक्स के दौरे के बाद हमने फार्म की सैर करनी थी। हमने देखा कि मस्जिद की ओर से 7 बग्घियां हमारी तरफ आ रही हैं। हम चार-चार करके सभी बैठ गए। काम्पलैक्स में कौन- सी चीज़ कहां है, और कौन-सी फसल कब काटी जानी है बग्घी वाले बता रहे थे। फार्म के प्रीति भोज से पहले जूस और ठंडी बोतलें पीकर हमने हाल कमरे में प्रवेश किया, तो पता चला कि हमने चौकड़ी लगा कर भोजन करना था। मांस, कबाब, सब्ज़ी, दालें, नॉन और रुमाली रोटियां। खाना खत्म हुआ तो नवाज़ शरीफ की गोद में एक गोल-मटोल तथा मासूम बच्ची आ बैठी। वह नवाज़ शरीफ के साथ बच्चों की तरह कलोल कर रही थी। पता चला कि वह नवाज़ की नाती है। मौजूदा समाचार के अनुसार बच्ची की मां को सात वर्ष की कैद हुई है और पिता को एक वर्ष की। शराब के ठेकों का मामला 100 वर्ष पूर्व ट्रिब्यून की 6 जुलाई, 1918 की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार ने शराब के ठेकों को नियन्त्रित करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई थी। मद्रास (अब तमिलनाडु) की सेलम नगरपालिका ने पहली बार ब्रिटिश शासकों को जुलाई 1918 के आरम्भ में कुछ सुझाव दिए थे, जो स्वीकार किए गए। 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को शराब या टोडी बेचनी बंद की गई और शहर के ठेकों की संख्या सामान्य से आधी करके उनकी स्थापना नगर पालिका की सीमा से दूर रखने के आदेश जारी किए गए। यह भी कहा गया कि ठेके सुबह 9.30 से सायं 6 बजे तक खोले जाएं, आगे-पीछे नहीं। उसके बाद ब्रिटिश सरकार ने यह फार्मूला इंडिया भर में लागू किया। नछत्तर चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के रू-ब-रू
2017 के भारतीय साहित्य अकादमी सम्मान विजेता 7 जुलाई, 2018 को चंडीगढ़िये साहित्य रसियों के रू-ब-रू हुए तो उन्होंने अपनी रचनाकारी का सफर बिना किसी रख-रखाव के बहुत ही सहज ढंग से पेश किया। अपनी साधारण पृष्ठ भूमि और साहित्यक जागृति को पहचानने तथा प्रगट करने वाले मित्रों की देन सहित समारोह का संचालन अकादमी के सचिव जसपाल सिंह ने किया और अध्यक्षता की ज़िम्मेवारी अमरीका से आए हुए बुद्धिजीवि अमरीक सिंह ने निभाई। श्रोता उत्साह से पहुंचे। 

अंतिका
(मिज़रा साहिब)
चाहिए अच्छों को जितना चाहिए
सीह अगर चाहें तो फिर क्या चाहिए।