साज़िश का शिकार हुए नवाज़ शरीफ

पनामा पेपर कांड को लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को 10 वर्ष तथा उनकी बेटी मरियम शरीफ को 7 वर्ष की कैद की सज़ा सुनाये जाने ने पाकिस्तान की राजनीति में एक भूकम्प ला दिया है। इस केस का ऐसा ही फैसला होगा, इसका अनुमान सभी को था, क्योंकि नवाज़ शरीफ ने खुल कर सेना तथा उसकी आतंकवादी संगठनों के साथ मिलीभुगत की आलोचना की थी। इससे पहले उन्होंने कारगिल के मामले में जनरल परवेज़ मुशर्रफ को दोषी ठहराया था। ये बातें देश की शक्तिशाली सेना और आतंकवादियों से जुड़ी राजनीतिक पार्टियों को रास नहीं आ रही थीं। पनामा गेट दस्तावेज़ लीक कांड को बहाना बनाकर एक वर्ष पूर्व वहां की सुप्रीम कोर्ट ने नवाज़ शरीफ को उम्र भर के लिए चुनाव लड़ने से आयोग्य करार दे दिया था। इससे ही यह बात साफ हो गई थी कि तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके इस व्यक्ति के भविष्य पर हर कीमत पर बंदिशें लगाई जा रही हैं। यदि ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को सेना के जनरल तथा अदालत द्वारा फांसी पर चढ़ाया जा सकता है, यदि बेनज़ीर भुट्टो जैसी देश की लोकप्रिय नेता को साज़िश के तहत गोलियां मार कर उड़ाया जा सकता है, तो नवाज़ शरीफ के उत्थान के विरुद्ध सैन्य साज़िशों द्वारा अदालतों का सहारा लेकर उनका रास्ता क्यों नहीं रोका जा सकता? लंदन में जिन फ्लैटों का ज़िक्र किया गया है, नवाज़ शरीफ के परिवार ने वे 1993 में खरीदे थे। नवाज़ शरीफ की पृष्ठ-भूमि यह है कि उनके पिता पाकिस्तान में बड़े धनाढ्यों में से एक थे। उनके पिता को वहां स्टील के बादशाह के तौर पर जाना जाता था, परन्तु शरीफ परिवार के इस उत्थान को पाकिस्तान में बार-बार रोकने के प्रयास किए गए। जनरल परवेज़ मुशर्रफ जैसे सैन्य जनरलों द्वारा उस समय शरीफ को भ्रष्टाचार के दोष लगा कर सत्ता से बाहर कर दिया गया और उनको सऊदी अरब जाकर शरण लेनी पड़ी। अब इमरान खान जोकि सेना के समर्थक बताए जाते हैं, जिनको पाकिस्तान की सेना अगला प्रधानमंत्री बनाना चाहती है, की साज़िश से शरीफ और उनके परिवार को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। नवाज़ शरीफ ने कहा है कि उनको कुछ जनरलों तथा जजों द्वारा लोगों को गुलामी से आज़ाद करवाने की कोशिश के लिए जेल भेजा जा रहा है, परन्तु उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक पाकिस्तान सत्य बोलने के कारण डाली गई बेड़ियों से मुक्त नहीं हो जाता। शरीफ ने यह भी कहा कि यदि वोट के लिए सम्मान मांगने की सज़ा जेल है तो वह इसके लिए भी तैयार हैं। न्यायिक फैसले का यह समय ही इस बात को दर्शाता है कि ऐसा कुछ गहरी साजिश के अधीन किया गया है। जहां तक पनामा पेपर लीक का संबंध है, नवाज़ शरीफ पर यह केस 25 वर्ष बाद थोपा गया है। इस केस का प्रसार इतना बढ़ा है कि मध्य अमरीका के छोटे-से देश पनामा की कानूनी कम्पनी मोसेक फोनसेका की 15 लाख फाइलों के 1.15 करोड़ पृष्ठों से जुड़ा हुआ यह केस है। इन दस्तावेज़ों द्वारा 2,14,153 कम्पनियों से जुड़े 14 हज़ार 153 लोगों के नाम उजागर किए हैं। पाकिस्तान जोकि बेहद भ्रष्टाचारी देश माना गया है, जहां सैन्य जनरलों और जागीरदारों ने आम लोगों का पूरी तरह से खून चूस लिया है। पाकिस्तान दुनिया के कुछ एक बड़े भ्रष्टाचारी देशों में से एक है, परन्तु भ्रष्टाचार को आधार बनाकर ही रची गई विशेष साजिश के अधीन एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री को राजनीति से पूरी तरह निकालने का प्रयास किया गया है। इससे पहले ही पूरी तरह थिरक चुके पाकिस्तान की दरारें और चौड़ी होने का संदेह बन गया है। भारत को ऐसे घटनाक्रम के प्रति बेहद गम्भीर होने की ज़रूरत है, क्योंकि वहां पहले ही बेहद शक्तिशाली हो चुकी सेना को और भी शह मिलेगी, जिससे आतंकवादी संगठन और भी शक्तिशाली बन कर नई चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं।

-बरजिन्दर सिंह हमदर्द