भुखमरी से निपटने में फिर असफल हुई सरकार 

भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति बहुत ही गंभीर, शर्मनाक और चिंताजनक है। अक्तूबर 2019 को जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स में फिर से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को धब्बा लगा है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2019 में कुल 117 देशों को शामिल किया गया, जिसमें भारत 102वें पायदान पर है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2019 में चीन 25वें, पाकिस्तान 94वें, बांग्लादेश 88वें, नेपाल 73वें, म्यांमार 69वें और श्रीलंका 66वें पायदान पर है। हैरानी से भी बड़ी शर्म की बात यह है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) 2019 के मुताबिक भारत दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसियों पाकिस्तान, बांग्लादेश श्रीलंका से भी पीछे है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स, यानी पीयर-रिव्यूड वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे आयरलैंड की कन्सर्न वर्ल्ड वाइड तथा जर्मनी की वेल्थुंगर हिल्फे ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की शुरुआत साल 2006 में की थी। वेल्ट हंगर लाइफ नाम के एक जर्मन संस्था ने साल 2006 में पहली बार ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ जारी किया था।वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दुनिया के 117 देशों में इस साल भारत का स्कोर 30.3 है जो इसे ‘सीरियस हंगर कैटेगरी’ में लाता है। हैरानी की बात ये है कि 117 देशों में भारत 102वें स्थान पर हैं और पाकिस्तान 94वें स्थान पर।वैश्विक भुखमरी सूचकांक में जितने कम प्वॉइंट्स होते हैं, उस देश की ठीक हालत की ओर इशारा करते हैं। ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ में भुखमरी की स्थिति दिखाने के लिए पांच श्रेणियां बनाई गई हैं। 0 से 9.9 मध्यम, 10.0 से 19.9 मध्यम, 20.0 से 34.9 गंभीर, 35.0 से 49.9 भयावह और 50.0 को अति भयावह। वैश्विक भुखमरी सूचकांक में अंक की चार संकेतकों के आधार पर गणना की जाती है। अल्पपोषण, बच्चों के कद के हिसाब से कम वजन होना, बच्चों का वजन के हिसाब से कद कम होना और बाल मृत्यु दर।वैश्विक भुखमरी सूचकांक के आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में भुखमरी और कुपोषण को खत्म करना अब एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है । दुर्भाग्य की बात है कि भारत में भुखमरी और कुपोषण की समस्या को खत्म करने को लेकर कोई सकारात्मक प्रयास नहीं हुए हैं।  देश में भुखमरी और कुपोषण से मुक्ति के लिए यूं तो  हर साल  करोड़ों, अरबों रूपए खर्च होने के बाद भी समस्या अपने भयावह रूप में बनी हुई है । भारत में आज भी करोड़ों की संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके लिए दो वक्त पेट भर भोजन जुटा पाना एक चुनौती से कम नहीं है।