हमेशा दंत कथा बने रहे कामेडी किंग चार्ली चैपलिन

राज कपूर का नाम भारतीय चार्ली चैपलिन के रूप में लिया जाता है। इसमें राज कपूर की बजाय चार्ली चैपलिन की महिमा मानी जाएगी। इसका मतलब यह हुआ कि चार्ली चैपलिन नहीं होता तो हमें शायद राजपूर भी न मिलता और अगर चार्ली ने ‘द सर्कस’ न बनाई होती तो राज कपूर ‘मेरा नाम जोकर’ भी न बना सकते हैं। यह भी एक प्रश्न ही है। ‘द सर्कस’ की शूटिंग खत्म करके चार्ली को अपनी माता के पास अस्पताल भेजा गया। वहां उनकी माता की मृत्यु हो गई थी। चार्ली के जीवन का यही पक्ष राज कपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ में समेट लिया। चार्ली की माता को अपनी मां बना लिया था। वैसे तो मां तो सभी की एक जैसी ही होती है।लेकिन चार्ली की एक नहीं बल्कि 9-9 माताएं थीं। जब वह लोकप्रिय होकर पैसे कमा कर पहली बार लंदन गये तो उन्हें तीन दिन में 73 हज़ार पत्र मिले। इन पत्रों के द्वारा उन्हें पता चला कि सिर्फ लंदन में ही उनके 700 के लगभग रिश्तेदार रहते हैं। 9 महिलाओं ने उनकी मां होने का दावा किया था। वह अंग्रेज़ी की इस कहावत को तो जानते ही होंगे कि सफलता के अनेक बाप होते हैं, लेकिन सफलता की इतनी सारी माताएं होती हैं यह उन्हें लंदन जाकर ही पता चला होगा। यह तो अच्छा ही होगा कि किसी महिला ने उन पर अपनी पत्नी होने का दावा नहीं किया।  इन 73 हज़ार पत्रों का जवाब देने के लिए चार्ली ने 6 व्यक्तियों को नियुक्त किया था।मानवीय इतिहास में इतनी शौहरत किसी इन्सान ने हासिल नहीं की होगी। बिना हड्डी और मांस के शार्लक होम्ज़ की तरह चार्ली भी दंत कथा का एक पात्र से माने जाते थे। उनके बारे में जितना लिखा गया है उतना दुनिया की किसी भी शख्सियत के बारे में नहीं लिखा गया। यदि पत्र पर बिना नाम के सिर्फ ढीली-चौड़ी पतलून, बड़े जूते एवं हाथ में छड़ी वाली उनका चित्र बना दिया जाता तो भी पत्र सही स्थान पर अर्थात् चार्ली के पते पर पहुंच जाता था। वह इतने लोकप्रिय हो चुके थे। उनकी फिल्में तीन करोड़ लोगों द्वारा देखे जाने की अनुमान है।  चार्ली ने 60 वर्ष तक हंसी के बेताज बादशाह के रूप में एक तरफा राज किया। उनका सिंहासन तो आज भी खाली है।चार्ली दुनिया में इस सीमा तक प्रसिद्ध हो गये थे कि वह जहां भी जाते वहां हज़ारों लोग अपना काम छोड़ कर उन्हें मिलने के लिए दौड़े चले आते थे। भीड़ को नियंत्रण करने के लिए पुलिस हमेशा कम पड़ जाती थी। मोमबत्तियों, टूथपेस्ट के डिब्बों, खिलौने, बच्चों के कामिक्स की किताबों, ताश के पतों एवं सिनेमा कला की गम्भीर पुस्तकों के मुख्य पृष्ठों पर उनकी तस्वीर या कार्टून प्रकाशित किये जाते थे। फैंटन की कथाओं में भी उन्हें हीरो बना कर उनके इर्द-गिर्द बाल कथाएं लिखी जाती थी। ‘ग शार्लो’ की हौंसले वाली कथा पर आधारित बाल और किशोर पुस्तकें नियमित में प्रकाशित होती थी। दुनिया की भिन्न-भिन्न भाषाओं में उनके कार्टून प्रकाशित किये जाते थे। एक फ्रैंच कार्टून में कैसर के हाथ में ‘द बेयनेक’ का एक विशेष प्रकार का पोज़ बना कर चार्ली चैपलिन को युद्ध के संवाददाता के रूप में चित्रित किया गया है। कैसर को कहा जाता है ‘साहिब आप चार्ली के साथ बिल्कुल भी ईर्ष्या न करें आपके अहंकार को कुछ भी नहीं होगा, आपने जितने लोगों को रुलाया है, उतने लोगों को वह कभी भी हंसा नहीं सकेंगे।’ फिल्मों में जिस तरह का उनका पहरावा था उन जैसे डर्बी हैड, बड़े जूते और ढीली सी पतलून कपड़ों की दुकानों पर भारी मात्रा में बिकी थीं। हमारे लोग खुशी से समूह में गाते  'Those Charlie Chaplin Fat' चार्ली की स्तुति में हज़ारों गीत गाये जाते। लोग रास्ते में चलते हुये गीत गाते। जब चार्ली लंदन गये तो'Charlie My Darling. All London talks of chaplin’s visit' मेरे प्यारे! हमारे लंदन में चार्ली के आगमन के चर्चे हैं। ऐसे विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित किये जाते थे। दुनिया उनकी दीवानी थी। एक दिन चार्ली ने अपने भाई सिडनी को पत्र भेजा कि वह किसी दिन, किसी गाड़ी द्वारा आ रहा है। डाकघर में काम करती लड़की ने यह खबर फैला दी, जिससे कैनसास, शिकागो एवं न्यूयार्क तक उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई। मीडिया में भी यह खबर पहुंच गई थी। इसीलिए भीड़ को नियंत्रण में रखने का काम पुलिस के लिए मुश्किल हो गया। न्यूयार्क के एक पुलिस अधिकारी ने ब्लैक स्टोन स्टेशन से चार्ली को पत्र दिया। कृपया आप ग्रैंड सैट्रर्ल स्टेशन की बजाय 25वीं स्ट्रीट से होकर जाएं। क्योंकि वहां बेकाबू भीड़ हंगामा कर सकती है। इसी कारण चार्ली ने रास्ता बदला तो सिडनी ने उन्हें हाथों हाथ लिया, ‘तुमने रास्ता क्यों बदला?... ऐसा एक रास्ता बताओ जहां तुम्हारे आने की खबर के कारण भीड़ न हुई हो।... सुबह से ही यहां भी लोग एकत्रित हो गये हैं। ...जबसे तुमने लॉस एंजेल्स छोड़ा है तब से अखबारों में तुम्हारी ही खबरें प्रकाशित होती रहती है।’जब एक बार चार्ली जहाज़ से उतरे तो किनारे पर हज़ारों लोग उनके स्वागत के लिए खड़े थे। किसी ने चार्ली से पूछा, ‘इतने सारे लोगों को इकट्ठा देखकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?’ ‘अच्छा लगता है...’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन जितना मेरा अनुमान था उससे कम भीड़ देखने को मिली...’ उनकी आवाज़ में निराशा थी। बाद में जब उन्हें पता चला कि जहाज़ एक दिन देर से पहुंचा है... कल रात प्रचंड भीड़ आंधी की तरह आई थी, लेकिन जहाज़ के आने का कोई समय निश्चित न होने कारण लोग निराश होकर वापिस चले गये..’ यह सुन कर उनकी निराशा दूर हो गई और वह बहुत खुश हुये। जब वह पैरिस गये तो ऐसे ही प्यारे मेहमान के सम्मान में पैरिस में उस दिन सरकारी छुट्टी मनाई गई। (क्रमश:)