2021-थाईलैंड ओपन बैडमिंटन चीन की महान ताइपे ने पहना ताज

खेल प्रेमियों के लिए यह नतीजा बड़ा आश्चर्यजनक लगा कि वर्ष के शुरू में थाईलैंड ओपन वर्ल्ड टूर फाइनल में चीन की ताई तापेन ने इस वर्ष का थाईलैंड ओपन का खिताब अपने नाम कर लिया है और स्पेन  की कारोलीना मारेन को दूसरे स्थान पर भी संतोष करना पड़ा है।  यह उम्मीद की जाती थी कि वह गत कुछ वर्षों में ही दो बार की विजेता है, इसलिए इस खेल में भी प्रतियोगिता को जीत कर हैट्रिक प्राप्त करेगी परन्तु कारोलीना की यह इच्छा पूर्ण नहीं हो सकी। जब ये उत्तेजना भरपूर मैच आरंभ हुआ तो पूरा खेल मैदान स्पेन की कारोलीना की सम्भावित जीत के बारे उसके पक्ष में कारोलीना-कारोलीना के शोर से माहौल को गर्म कर रहा था। पहली गेम में मैच के आरंभ में ही कारोलीना ने अच्छे खेल का प्रदर्शन करके यह बता दिया कि उसका इरादा इसमें हैट्रिक प्राप्त करना है।  कारोलीना ने पहली गेम 21-14 से आसानी से जीत ली। दूसरी गेम में चीनी खिलाड़ी ताइपे ने अपनी सूझ-बूझ का प्रदर्शन किया। इस खिलाड़ी का खास गुण यह रहा है कि जिस कला एवं चालाकी से वह नैट पर सूक्षम शॉट फैंकती है उसका विरोधी खिलाड़ी के पास कोई जवाब नहीं होता। दूसरी गेम चीनी खिलाड़ी ने 21-8 से जीती। अब बैटमिंटन के इस ऐतिहासिक मैदान में शोर समाप्त हो गया। फिर तीसरी और निर्णायक गेम कारोलीना कुछ संभल कर खेलने लग पड़ी और अंक बराबर चलने लग पड़े। विश्व की दो महान खिलाड़ी इस महान वर्ल्ड टूर थाईलैंड ओपन में बैडमिंटन का ताज पहनने के लिए सनसनी खेल का प्रदर्शन कर रही थीं। इस समय कारोलीना ने जजमैंट की कुछ गलतियां की और मैच चीनी खिलाड़ी ने 21-19 से जीत लिया। इस आश्चर्यचकित परिणाम के संबंध में विशेषज्ञों की राय है कि विश्व में इस समय बैडमिंटन के खेल को लेकर कुछ ऐसी खिलाड़ी बराबर की हैं कि जिनसे यह उम्मीद की जा सकती है कि वह कोई उल्ट-पुल्ट कर सकती हैं। इसमें मुख्य देश चीन, भारत, जापान, थाईलैंड, सिंगापुर और स्पेन हैं। हमारी दोनों खिलाड़ी सायना नेहवाल और पी.वी. सिंधु विश्व स्तर की हैं। सायना नेहवाल ने स्पेन की कारोलीना और जापान की यामागुची को हराया हुआ है। खेल विशेषज्ञ इस खेल बारे विशेष तौर पर यह राय रखते हैं कि प्रत्येक खिलाड़ी का कोई खास दिन होता है, जबकि वह अपनी खेल का प्रदर्शन बहुत उत्तम ढंग से करता है। इस थाईलैंड ओपन की एक विशेषता यह है कि
इसमें एक बड़ी राशि अर्थात् ईनामी राशि अमरीकी डालर में रखी गई थी और इसे कई चरणों में बांटा हुआ है। इस संस्करण में एक ऐसा समय भी आया जब पी.वी. सिंधु ने इस में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और भारत उस समय पहले स्थान पर भी गया। बैडमिंटन के खेल में यह प्रसिद्ध है कि इस खेल का मुख्य आकर्षण महिला सिंग्लस के मैच ही होते हैं। भारत सदा पुरुष क्षेत्र में पिछड़ा ही रहा है। हमारे सभी पुरुष खिलाड़ी आरंभिक चरण में ही टिकट कटा लेते हैं। समूचे तौर पर हमारा पूरा प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है, सिर्फ एक बार ही पी.वी. सिंधु ने उत्तम खेल का प्रदर्शन किया। उम्मीद की जा सकती है कि भारत इस ओलम्पिक वर्ष में अपने खेल में सुधार कर लेगा और खेल प्रेमियों को निराश नहीं करेगा। 

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