खुलता भारत और उसकी आर्थिक चुनौतियां

राष्ट्रव्यापी कोरोना महामारी के प्रकोप से संत्रस्त भारतीय अर्थव्यवस्था में पूर्णबंदी के चार चरण गुज़र गए। दो महीने के अधिक के इस पूर्णबंदी काल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जिस सितम को झेला, उसके बाद अब पहली जून से पूर्णबंदी 5 को भाग्य नियन्ताओं ने अर्थव्यवस्था और देश को खोलने का पहला चरण कह दिया है। बताया जा रहा है कि ऐसे क्रमश: तीन चरण होंगे जिनमें आठ जून से होटल, रेस्त्रां, मॉल प्लाज़ाओं से लेकर जुलाई के अंत तक सिनेमा, जून, स्कूल-कालेज और हवाई उड़ानें तक सब खोल दी जाएंगी। अगर सब सुख रहा जिसमे बेशक यह शामिल है कि कोनोना प्रकोप पर तर्कसंगत नियन्त्रण कर लिया जाएगा और इसके साथ सत्ताइस साल के बाद ऐसी भयावहता से होने वाले टिड्डी दल के हमले का सामना कर लिया जाएगा तो मोदी जी ने लॉकडाउन पांच की अपनी घोषणा में फरमाया कि जनता के सहयोग के साथ भारत और अर्थव्यवस्था को दरपेश लगभग सभी समस्याओं पर नियन्त्रण कर लिया जाएगा और भारत फिर उसी सीधी सपाट राह पर चलने लगेगा जिसमें निरन्तर यात्रा के बाद भारत को ’अच्छे दिन’ मिल जाएंगे। निसंदेह: नरेन्द्र मोदी ने छ: वर्ष पहले जब भारत की सत्ता संभाली थी, तो उन्होंने देश वासियों को ‘अच्छे दिन’ लाकर देने का वायदा किया था। इन अच्छे दिन में हर हाथ को काम देने का वायदा था, रिश्वतखोर और कर चोर व्यवस्था से ईमानदारी का संदेश था। महंगाई पर नियंत्रण करके कालाबाज़ारियों को चुनौती देनी थी। एक आदर्श समाज की स्थापना करनी थी जिसमें दुनिया भर के धनी देश निवेश करना पसंद करेंगे। ‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ ‘मेड इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देने के नारे के साथ मोदी जी चले थे।  मोदी शासन की यह दूसरी पारी है। उनके शासन काल के छ: वर्ष गुजर गए और इनकी दूसरी शासन पारी की पहली सालगिरह भी मना ली गई। इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी जी देश के उन बहुत कम नेताओं में से एक हैं जिन पर उनके देश की जनता असीम विश्वास करती है। अभी भी एक विश्वव्यापी सर्वेक्षण में कोरोना की महामारी से जूझने वाले राष्ट्रीय नेताओं की सूची में नम्बर एक पर मोदी जी को रखा गया है। लेकिन कोरोना के साथ चार चरण के इस पूर्णबंदी युद्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था जिस प्रकार पस्त नज़र आने लगी, वह अपने आप में एक निराशाजनक सत्य बना। कहां तो भारत सात प्रतिशत आर्थिक विकास दर प्राप्त करके दस प्रतिशत तक जाते हुए स्वत: स्फूर्त और बाहुबलि हो जाने के सपने देख रहा था और कहां कोरोना महामारी ने निश्चलता का ऐसा प्रहार भारतीय अर्थव्यवस्था पर किया कि आज उसके चौदह आर्थिक क्षेत्रों में से ग्यारह बदहाली की अवस्था में चले गए हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वीकार किया है कि आर्थिक विकास दर धनात्मक तो क्या शून्य पर गिर गई है और इससे भी नीचे जा सकती है। कोरोना महामारी के प्रकोप से पहले भारत में बेरोज़गारी की दर 6.1 प्रतिशत थी। इन दो महीनों में अब लगी लगायी कामगारों की नौकरियां छूट गईं और बेकारी की दर उस भीषण स्तर पर चली गई है कि जैसी दुरुह अवस्था पिछली आधी सदी में कभी न  देखी गई थी। चन्द नेताओं और नौकरशाहों ने ऐसी दुरुह स्थिति में निरीह आदमी का हाथ पकड़ने के स्थान पर भ्रष्टाचार का वह खेल खेल दिया कि इन्सानियत शर्मिंद हो गई। कोरोना महामारी से अधिक देश को भुखमरी और बेकारी से बगावत की समस्या सताने लगी।  ऐसी हालत में देश के सरकारी मसीहाओं के सामने कोई ऐसा विकल्प नहीं रहा। उन्होंने कोरोना प्रकोप को जनता की एहतियात की समझ के आसरे छोड़ कर अर्थव्यवस्था को खोल दिया और यूं उसे जीवनदान देने के प्रयास का फैसला कर दिया।इसके लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का बड़ा प्रयास किया। बीस लाख करोड़ रुपए की उदार आर्थिक अनुकम्पा की जो अभी निष्प्रभावी नज़र आ रही है क्योंकि यह छोटे बड़े उद्योगों और किसानों को जो उदार उधार अर्थव्यवस्था बांट रही थी, वह उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इन्हें इस बीमारी के भयभीत महीनों में उनकी अपनी आपूर्ति और मांग एवं बिक्री के सभी चैनल टूट गये नज़र आने लगे। उनको जीवित हुए बिना वे और कज़र्ा अपने सिर पर कैसे लाद लेते।अनलॉक एक शुरू हो गया है। दो और तीन पीछे चला आ रहा है लेकिन बंदिशें हट जाने से ही तो उद्योग और किसानी, पर्यटन और सेवा, खनन और आवागमन क्षेत्र नहीं जी उठेगा। ज़मीनी स्तर पर इन सब क्षेत्रों को तत्कालिक आर्थिक राहत की ज़रूरत है जो इस समय किसी घोषणा में नज़र नहीं आती। आठ करोड़ प्रवासी मज़दूर औद्योगिक  नगरों में काम कर रहे थे। पौने दो करोड़ को अभी तक स्थायित्व मिला है। शेष पूणबंदी के इस झटके से उखड़ कर बेहिसाब कष्ट झेलते हुए अपने गांव-घरों की ओर वैकल्पिक जीवन की तलाश में जाने लगे लेकिन देश की चरमराती हुई कृषि उन्हें कहां समेटे? आधारभूत कृषि, उद्योगों के विकास की एक कार्य नीति सामने आये तभी यह प्रस्थान अर्थव्यवस्था अनलॉक के तीनों चरण किसी नये भारत का निर्माण कर सकेंगे।