ज्यादा काम करने से कुछ नहीं होता अभिषेक 

जे पी दत्ता की रोमांटिक फिल्म ‘रिफ्यूजी’  के साथ कैरियर की शुरूआत करने वाले अभिषेक बच्चन ने पिछले साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने एक्टिंग कैरियर के दो दशक पूरे किए हैं।बहुत जल्दी अभिषेक बच्चन ‘बिग बुल’ में नजर आएंगे। इसके अलावा वे ‘बॉब बिस्वास’ कर रहे हैं। ‘बिग बुल’ 1992 में हुए भारतीय स्टॉक मार्केट के अब तक के सबसे बड़े स्कैम पर बेस्ड है। क्राइम ड्रामा पर आधारित ‘बिग बुल’ को पहले थियेटर में रिलीज किया जाना था लेकिन कोरोना के चलते ऐसा नहीं हो सका। अब इसे ओटीटी पर रिलीज किया जाएगा।  दोनों ही बातें हैं लेकिन उससे बड़ी बात यह है कि अब मैं   यह  जानने की स्थिति में हूं कि मैं क्या कर सकता हूं और क्या नहीं। किसी कलाकार के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि उसकी सीमाएं क्या हैं और मैं अपनी सीमाओं से वाकिफ हूं। जब मुझे लगता है कि कोई चीज मेरे लिए नहीं है, उसे करने की कोशिश नहीं करता।   फिल्म और उसमें मेरा अपना किरदार, मेरे लिए दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। दोनों में से कोई एक चीज भी यदि मेरी कसौटी पर खरी नहीं उतरती, तब मैं उस प्रोजेक्ट में हाथ नहीं डालता। क्योंकि मुझे लगता है कि ज्यादा काम करने से कुछ नहीं होता। काम अच्छा होना चाहिए। इसके लिए अच्छी फिल्में करनी होती हैं और अक्सर हमें अच्छी फिल्मों के लिए इंतजार भी बहुत करना होता है। सिर्फ एक्टर का ही नहीं बल्कि ज्यादा काम करने से एक लंबे समय बाद पूरी इंडस्ट्री को भी नुकसान होता है क्योंकि ज्यादा काम के चक्कर में हर कोई क्वालिटी के साथ कंप्रोमाइज करने के मूड में आ जाता है।   (अदिति)

- सुभाष शिरढोनकर