समय का सदुपयोग सर्वोत्तम शिक्षा है

इस संसार में सबसे अमूल्य वस्तु समय ही है। सभी चीजों को घटाया, बढ़ाया व स्थिर किया जा सकता है लेकिन समय को नहीं। समय किसी के अधीन नहीं रहता, न ही किसी की प्रतीक्षा करता है। विद्यार्थी के जीवन में समय का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। समय का जो व्यक्ति सदुपयोग करता है, वह एक श्रेष्ठ नागरिक बन जाता है। समय का सदुपयोग केवल एक उद्यमी व्यक्ति ही कर सकता है, आलसी नहीं। भगवान महावीर ने समय के सदुपयोग की व्याख्या बहुत सुंदरता से की है। उनके अनुसार सच्चा धार्मिक वह नहीं है जो केवल तप, जप व ध्यान में लगा रहता है। उनके अनुसार सच्चा धार्मिक वही है जो प्राणियों की सेवा करना अपना कर्त्तव्य समझता है। दीन-दुखियों की सहायता करना अपना कर्तव्य समझता है। धर्म के साथ हमें तप का रास्ता भी चुनना चाहिए। तप का अर्थ है दूसरों की सेवा, स्वाध्याय तथा आत्मचिंतन। यदि हम तप का रास्ता अपना लें तो हमारे खाली समय का निराकरण हो जाएगा। दूसरों की सेवा करना जिनका  उद्देश्य बन जाए, स्वाध्याय जिसकी आदत बन जाए, वह व्यक्ति खाली नहीं रहता। यदि हमारा खाली समय किसी के आंसू पाेंछने में , किसी दु:खी व्यक्ति को सांत्वना देने में,किसी बेसहारा को सहारा देने में, अच्छे साहित्य का अध्ययन, मनन व चिंतन करने या साधना में लगता है तो इससे अच्छा समय का सदुपयोग और क्या होगा। समय मनुष्य का मूल तत्व है। मनुष्य को अपने जीवन में इसके महत्त्व को महसूस करना चाहिए।समय नष्ट मत करो। समय नष्ट करना, जीवन नष्ट करना है। इसलिए तुम्हें अपने आपसे गंभीरता से पूछना चाहिए कि क्या समय नष्ट करने में कोई समझदारी है। यदि तुम अपनी जवानी में समय नष्ट करोगे तो अपने उद्धार के लिए कब कार्य करोगे। मनुष्य जन्म पाकर तुम्हें अपने उद्धार के विषय में सोचना चाहिए, इसलिए बचपन से ही अपने समय का सदुपयोग करना सीखना चाहिए। (युवराज)