गम्भीर आर्थिक संकट झेल रहा है पाकिस्तान

पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट झेल रहा है और पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में भुखमरी बढ़ी है। सच तो यह है कि पाकिस्तान के हालात आजकल बहुत ही बुरे हैं। पाकिस्तान में आम लोगों को दो वक्त की रोटी तक भी नसीब नहीं हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में पाकिस्तान में रोटी, दाल, चावल और आटे के लिए लोग लगातार भटक रहे हैं। दाल, चावल और आटे की कीमतें आसमान छू रही हैं। सच तो यह है कि पाकिस्तान में महंगाई से बुरा हाल है। पैट्रोल के दाम 26.02 पाकिस्तानी रुपए बढ़कर 331.38 रुपए हो गए हैं। वहीं हाई-स्पीड डीज़ल 17.34 रुपए बढ़कर 329.18 पाकिस्तानी रुपया हो गया है। पाकिस्तानी मीडिया डॉन के मुताबिक पिछले एक महीने में पैट्रोल-डीजल की  दरों में करीब 58.43 और 55.83 रुपए की बढ़ौतरी हुई है। दरअसल, अगस्त में मुद्रा-स्फीति की दर में 27.4 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई, जिसके बाद पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ी हैं। आने वाले दिनों में सामान्य कीमतें भी बढ़ने के आसार हैं। 
पाकिस्तान में भोजन के लिए आपस में झड़पें, लड़ाई झगड़ा करते लोगों की तस्वीरें वास्तव में पाकिस्तान की बदहाली को ही बयां करती हैं। सच तो यह है कि पाकिस्तान में आज ़गरीबी और बेरोज़गारी अपने चरम पर है। पिछले साल डेढ़ साल से तो पाकिस्तान की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था ही डावांडोल हो चुकी है और यह बात आंकड़ों से बखूबी पता चल जाती है। विश्व बैंक ने कहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष यानि कि वर्ष 2022-23 में पाकिस्तान में गरीबी बढ़कर 39.4 प्रतिशत का स्तर छू चुकी है। आंकड़ों के अनुसार खराब आर्थिक हालात के कारण पाकिस्तान में 1.25 करोड़ से अधिक नए लोग गरीबी की चपेट में आए हैं।
विश्व बैंक ने पाकिस्तान के बारे में कहा है कि वित्तीय स्थिरता हासिल करने के लिए पाकिस्तान को तत्काल कदम उठाने होंगे, अन्यथा अब उसे बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता हैं।  मसौदा नीति में कहा गया है कि लगभग 9.5 करोड़ पाकिस्तानी अब गरीबी में रहते हैं, जबकि उसकी कुल जनसंख्या 23 करोड़ के करीब है। पाकिस्तान में इस वर्ष हालात पिछले वर्ष के मुकाबले और भी अधिक खराब हो गये हैं। पिछले वर्ष गरीबी का यह आंकड़ा 34.2 प्रतिशत था। अब यह आंकड़ा 39.4 प्रतिशत का स्तर छू चुका है।
पाकिस्तान में बिजली की दरें बहुत अधिक हैं और लोग बिजली के बिल चुकाने के समर्थ नहीं हैं। पहले से बिजली की बढ़ी दरों को झेल रहे पाकिस्तान की आम जनता को हाल ही में बिजली दरों में वृद्धि का एक और झटका लगा है। कुछ समय पहले ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बिजली उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने से पाकिस्तान सरकार को रोक दिया था। उस समय बढ़े हुए बिजली के बिलों को लेकर पाकिस्तान में व्यापक स्तर पर बहुत से विरोध प्रदर्शन भी किए गए थे। बहरहाल विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री टोबियास हक ने कहा कि पाकिस्तान का आर्थिक मॉडल अब गरीबी कम नहीं कर रहा है और समकक्ष देशों के मुकाबले यहां जीवन स्तर घट रहा है। 
पाकिस्तान में लोगों की रोज़ाना कमाई भारत के 300 रूपए से भी कम है। पाकिस्तान के हालात ऐसे हो गये हैं कि उसको अपनी एयरलाइन तक बेचनी पड़ रही है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (फोरेक्स रिजर्व) गिरता जा रहा है और गोल्ड रिजर्व  भी उसी तेज़ी से घट रहा है। पाकिस्तान कर्ज के बोझ तले बुरी तरह से दबा हुआ है। आर्थिक संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान की सरकार को जितनी जल्दी हो सके, विदेशी कज़र् हासिल करना होगा, लेकिन यहां यक्ष सवाल यह पैदा होता है कि आखिर पाकिस्तान को कज़र् देगा कौन? पहले ही पाकिस्तान पर बहुत विदेशी कज़र् है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तब तक पाकिस्तान को पैसे देने से इन्कार कर चुका है, जबतक वो उसकी तमाम शर्तों को मानने के साथ उन पर अमल नहीं करता। फिलहाल विश्व बैंक ने उपाय बताया है कि अनुपात में तुरंत 5 प्रतिशत की ग्रोथ और व्यय में लगभग 2.7 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए। इससे अस्थिर अर्थ-व्यवस्था को वापस पटरी पर लाया जा सकता है। (युवराज)