कब मंज़ूर होगा किरण चौधरी का इस्तीफा ?

हरियाणा में तोशाम क्षेत्र की विधायक किरण चौधरी का इस्तीफा कब मंजूर होगा? क्या कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुकीं किरण पर दल-बदल कानून के उल्लंघन के तहत कोई कार्रवाई होगी? पूर्व कैबिनेट मंत्री किरण चौधरी को दल-बदल कानून के तहत कांग्रेस विधायक पद से अयोग्य घोषित कराना चाहती है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उप नेता आफताब अहमद और पार्टी के चीफ व्हिप भारत भूषण बतरा की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को दो चिट्ठी लिखी जा चुकी हैं। चिट्ठी में कहा गया है कि किरण को विधायक पद के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष रहीं किरण चौधरी चार बार हरियाणा से विधायक चुनी जा चुकी हैं। विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता भी रह चुकी हैं। किरण चौधरी को अयोग्य घोषित करने की कांग्रेस की अर्जी पर विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता को अभी विचार करना है। इससे पहले लोकसभा चुनावों के दौरान जब आज़ाद विधायक रणजीत सिंह चौटाला भाजपा में शामिल हुए थे तो उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। किरण चौधरी विधायक पद से इस्तीफा देंगी या उन्हें अयोग्य घोषित किया जाएगा, अभी इस बारे में फैसला किया जाना है। किरण चौधरी के विधायक पद छोड़ने के बाद सदन में कांग्रेस विधायकों की तादाद 28 रह जाएगी। इससे 90 सदस्यीय सदन में सदस्यों की कुल संख्या भी घट कर 86 रह जाएगी।
कांग्रेस नहीं जीत पाएगी राज्यसभा सीट?
हरियाणा में कांग्रेस के लिए राज्यसभा की अपनी सीट बचा पाना मुश्किल है। यह सीट कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र सिंह हुड्डा के रोहतक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने पर खाली हुई है। वर्ष 2020 में उन्हें छह साल के लिए चुना गया था। उनका अभी दो साल का कार्यकाल बाकी था, लेकिन सांसद चुने जाने पर उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी है। चुनाव आयोग की तरफ से राज्यसभा की इस सीट को खाली घोषित करने के संबंध में अधिसूचना जारी की जा चुकी है। राज्यसभा की इस सीट पर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार की जीत निश्चित मानी जा रही है। जीतने वाले का कार्यकाल दो साल का होगा। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास 28 विधायक हैं। तीन आज़ाद विधायक भी इस समय कांग्रेस के साथ हैं। सदन के रिकॉर्ड के मुताबिक किरण चौधरी अभी कांग्रेस में हैं, लेकिन वह भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। मौजूदा हालत में राज्यसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (जजपा), इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) सहित कुछ आज़ाद विधायकों का समर्थन मिलना संभव नहीं है। सदन के मौजूदा सदस्यों की तादाद 87 है। विपक्षी दलों के एक होने पर भी सत्तारूढ़ भाजपा के उम्मीदवार को मात दे पाना कांग्रेस के लिए नामुमकिन है। अगर कांग्रेस अपना उम्मीदवार खड़ा करती है तो उसे जीत के लिए जजपा, इनेलो और आज़ाद विधायक बलराज कुंडू का समर्थन हासिल करना ज़रूरी होगा। समर्थन के बावजूद क्रॉस वोटिंग से इन्कार नहीं किया जा सकता। भले ही बहुमत का आंकड़ा विपक्ष के पास है, लेकिन किसी भी तरह से भाजपा की कोशिश इस सीट को जीतने की रहेगी।
नहीं होंगे उप-चुनाव
हरियाणा में मुलाना क्षेत्र से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है। चौधरी के इस्तीफा देने के बाद भले ही मुलाना सीट खाली घोषित कर दी जाए, लेकिन यहां उप-चुनाव नहीं कराया जाएगा। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नवम्बर तक है। अक्तूबर महीने में विधानसभा के आम चुनाव हो जाएंगे। वरुण चौधरी अंबाला लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीत कर संसद में पहुंचे हैं। उन्होंने भाजपा की उम्मीदवार बंतो कटारिया को 49 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है। पहली बार चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचे चौधरी दूसरा चुनाव जीत कर संसद में पहुंच गए हैं। राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता फूलचंद मुलाना हरियाणा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री रहे हैं। विधायक पद से वरुण चौधरी के इस्तीफा देने के बाद 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में सदस्यों की तादाद अब 87 रह गई है। इससे पहले बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया था, जबकि एक विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया है।
क्या आरोप-मुक्त होंगे पूर्व मंत्री संदीप सिंह?
हरियाणा के पूर्व मंत्री संदीप सिंह आरोप-मुक्त हो पाएंगे? संदीप सिंह की अर्जी का चंडीगढ़ पुलिस ने अदालत में विरोध किया था। अदालत में उनके खिलाफ जूनियर महिला कोच यौन शोषण मामले में सुनवाई चल रही है। पुलिस के मुताबिक संदीप सिंह के खिलाफ प्रथम दृष्टि में संबंधित धाराएं बनती हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में अदालत 6 जुलाई को फैसला देगी। जूनियर महिला कोच यौन शोषण मामले में गठित एसआईटी की सदस्य इंस्पेक्टर उषा रानी ने अढ़ाई पेज के जवाब में कहा है कि पीड़िता ने प्राथमिक आरोप अपने सभी बयानों में बनाए रखे हैं। ऐसे में संदीप सिंह की अर्जी को रद्द किया जाए। इस मामले में गवाहों ने भी अपना पक्ष रखा।
संदीप सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद भी मुख्यमंत्री रहते मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल से नहीं हटाया था, लेकिन नायब सिंह सैनी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया।
क्या सचमुच नायब सरकार के पास बहुमत नहीं है?
हरियाणा में नायब सिंह सैनी की सरकार क्या सचमुच अल्पमत में है? कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय क्या नायब सैनी सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के निर्देश देंगे? कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा भंग करने की मांग एक बार फिर दोहराई है। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि भाजपा सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में राज्यपाल को हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू कर जल्द से जल्द चुनाव कराने की सिफारिश करनी चाहिए।
राज्यपाल से राजभवन में मिलने गए कांग्रेस विधायकों के शिष्टमंडल का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री व विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा में नायब सैनी की अल्पमत सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। भले ही कांग्रेस कुछ भी कहे, लेकिन राज्यपाल समझ रहे हैं कि नायब सैनी के पास पर्याप्त संख्या बल है। मुख्यमंत्री बनते ही नायब सैनी ने विश्वास का मत हासिल कर लिया था। इस प्रकार पहले ही छह महीने के लिए उन्होंने अपनी सरकार सुरक्षित कर ली थी।