हिमाचल से आती गर्म हवा

पिछले कुछ समय से बेहद सुन्दर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, वह चिन्ताजनक भी है तथा इस प्रदेश की परम्पराओं के विपरीत भी है। यहां पिछले समय से सभी जातियों, बिरादरियों एवं विश्वासों के लोग सद्भावना से रहते आये हैं। पहले कभी भी यहां किसी तरह की ऩफरत और भ्रातृत्व अलगाव की बात सुनाई नहीं देती थी, परन्तु अब कुछ कट्टरवादी संगठनों ने अपने ढंग-तरीके से यहां के माहौल को खराब करने का यत्न किया है, जिससे यहां के शुद्ध वातावरण में गंदलापन उपजना शुरू हो गया है। नि:संदेह इस बनाये जा रहे माहौल में देश के कई अन्य भागों से आते ऐसे ही विलगाव वाले समाचारों का प्रभाव भी प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। यहां राजनीतिक स्तर पर विगत लम्बी अवधि से दो पार्टियां ही प्रभावी रही हैं, जो सैद्धांतिक तौर पर एक दूसरे का विरोध करती रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अक्सर साम्प्रदायिक पत्ता खेल कर बाज़ी जीतने की नीति अपनाये रखी है, जबकि कांग्रेस ने समूह वर्गों में आपसी समझदारी एवं साझेदारी बनाये रखने का यत्न किया है।
ऐसी राजनीति के तहत विगत दिवस कुछ संगठनों ने एक मस्जिद के अवैध निर्माण के विरुद्ध भारी संख्या में इकट्ठा होकर रोष प्रदर्शन किये थे। हम प्रशासन की इस बात के लिए प्रशंसा करते हैं कि उसने सतर्कता से इन्हें रोकने का यत्न किया परन्तु फैलाई गई ऐसी लहर का प्रभाव प्रदेश के अन्य भागों में भी देखा गया जहां भिन्न-भिन्न शहरों में अवैध मस्जिदों को गिराने के लिए प्रदर्शन किये गये। जहां तक धार्मिक स्थानों का संबंध है, समाज के किसी भी समुदाय के संबंध में यह नहीं कहा जा सकता कि उनके धार्मिक स्थान निर्माण के शहरी कानूनों के मापदंडों पर पूरे उतरते हों। यदि इस पक्ष से देखा जाये तो देश भर में ऐसी शिकायतें सैंकड़ों ही नहीं, लाखों की संख्या में गिनाई जा सकती हैं। इसलिए सिर्फ किसी एक समुदाय संबंधी ऐसे सवाल उठाने को जायज़ नहीं कहा जा सकता तथा न ही इस संबंध में कोई दोगली नीति ही अपनाई जानी चाहिए। देश के कई राज्यों में ऐसे साम्प्रदायिक के आधार पर की जा रही कार्रवाइयों के समाचार सामने आते रहे हैं। ज्यादातर इनके संबंध में यह शिकायत भी होती है कि संबंधित प्रशासन एक-पक्षीय नीति अपनाने को ही प्राथमिकता देते रहे हैं, जिसमें से साम्प्रदायिकता की बू ही आते महसूस होती है। विगत वर्षों से उत्तर प्रदेश ऐसी कार्रवाइयों में ज्यादा आगे बढ़ता नज़र आता है। एक समुदाय के घरों को बुल्डोज़रों से गिराना तथा उस समुदाय को किसी न किसी बहाने निशाना बनाना आम जैसी बात बनती जा रही है, जिससे देश की समूची संवैधानिक भावना को आघात पहुंचता है तथा इसकी चिर-स्थायी परम्पराएं आहत होती हैं।
विगत दिवस उत्तर प्रदेश में ही एक धार्मिक यात्रा से पूर्व दुकानों, फड़ी एवं रेहड़ी वालों को अपनी पूरी पहचान लिख कर बोर्ड लगाने संबंधी प्रशासन की ओर से दिये गये आदेश के कारण भारी विवाद पैदा हुआ था। देश की सर्वोच्च अदालत ने भी ऐसे फरमान का कड़ा संज्ञान लिया था। इसी ही क्रम में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के एक मंत्री की ओर से दुकानों एवं फड़ियों पर मालिकों के नाम लिखने संबंधी की गई घोषणा पर भी कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस की नीति देश के सभी नागरिकों को एक जैसा सम्मान देने की रही है। इस घोषणा के संबंध में पार्टी ने संज्ञान भी लिया है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू एक अच्छी भावनाओं वाले एवं सिद्धांतों को समर्पित व्यक्ति हैं। अब तक उनकी ओर से अपनाये गये व्यवहार तथा किये गये यत्नों की हम प्रशंसा करते हैं तथा उम्मीद करते हैं कि वह आगामी समय में भी अपने नागरिकों में सद्भावना बनाये रखने के लिए यत्नशील रहेंगे।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द