लोगों की शक्ति के समक्ष कोई ताकत काम नहीं करती : ढींडसा

जालन्धर, 14 फरवरी (जसपाल सिंह) : श्री अकाल तख्त साहिब की गरिमा को बनाए रखने, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को राजनीतिक जकड़न से मुक्त करने व शिरोमणि अकाली दल में लोकतांत्रिक मूल्यों की बहाली के लिए गत कुछ समय से शिरोमणि अकाली दल की लीडरशिप से दूर होकर अपना अलग झंडा उठाने वाले वरिष्ठ अकाली नेता व राज्य सभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा है कि लोगों की शक्ति के आगे कोई भी ताकत काम नहीं करती व वह लोगों के साथ अपने उद्देश्य में ज़रूर कामयाब होंगे। यह दावा उन्होंने ‘अजीत’ भवन में एक विशेष मुलाकात दौरान करते हुए कहा कि बादल दल विरोधी पक्षों द्वारा सिख संस्थानों का गौरव बहाल करवाने के लिए शुरू किये गये अभियान को समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है व जब लोग कोई भी बात अपने मन में ठान लेते हैं व फिर उसको कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। स. सुखदेव सिंह ढींडसा ने एक बार फिर प्रधान सुखबीर सिंह बादल की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी में लोकतंत्र नाम की कोई चीज़ नहीं व सब कुछ एक ही व्यक्ति के इशारे पर हो रहा है व सिख संस्थानों के मान-सम्मान को भी धूमल किया जा रहा है। एक डेरे के प्रमुख को माफी से लेकर अन्य धार्मिक मुद्दों पर भी किसी की राये लेने की ज़रूरत नहीं समझी गई। गत विधानसभा चुनावों में हुई पार्टी की हार बारे समीक्षा करने के लिए वह लगातार राजनीतिक विशेषज्ञों या फिर बुद्धिजीवियों की एक कमेटी बनाए जाने की मांग करते रहे पर उनकी एक नहीं सुनी गई। सिख संस्थानों में राजनीतिक दखलअंदाज़ी बारे बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह संस्थान अपने उद्देश्य से भटक गये हैं व संगतों के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज का युवा नशों व पतित होकर बेलगाम हो रहा है जबकि चाहिए तो यह था कि सिख संस्थान युवाओं को बाणी व बाणे से जोड़ने का प्रयत्न करतीं पर ऐसा नहीं हो सका व इस तरह के व्यवहार को देख कर हर सिख का हृदय घायल हो जाता है। यहां ही बस नहीं पार्टी के अंदर भी लोकतंत्र का कत्ल किया जाने लगा व ज़िला जत्थेदारों से लेकर हलका इंचार्ज भी अपनी मज़र्ी से लगाए जाने लगे। पार्टी का पुराना स्वरूप बहाल करवाने व लोकतांत्रिक मूल्यों को पुन: लागू किए जाने के लिए वह अपना संघर्ष तेज़ करेंगे व लोगों को साथ लेकर सिख संस्थाओं को भी मुक्त करवाया जायेगा। नई दिल्ली में भाजपा द्वारा अकाली-भाजपा गठबंधन से किनारे किए जाने बारे पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बेअदबी मामलों के बाद अकाली दल की उच्च लीडरशिप से सिखों का मोह भंग हो गया था व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों मनजीतसिंह जी.के. द्वारा अपने बल पर जीती गई थीं।