राष्ट्रीय सब्ज़ी का हकदार कौन है ?

पिछले दिनों देश में राष्ट्रीय तितली के चयन के लिए मतदान किया गया थाए जब मैंने अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में जानना चाहा तो पता चला कि हमारे राष्ट्रीय पेड़ बरगद, राष्ट्रीय फूल कमल और राष्ट्रीय फल आम के अलावा एक राष्ट्रीय सब्ज़ी भी है  ‘कद्दू’ यह मेरी पसंदीदा सब्ज़ी है। कद्दू के राष्ट्रीय सब्ज़ी होने का भारत सरकार की वेबसाइट पर कोई ज़िक्र नहीं है। वैसे नेट पर सर्च करेंगे तो आपको राष्ट्रीय सब्ज़ी के नाम पर पंपकिन अर्थात कद्दू का नाम मिल जाएगा। मुझे लगा कि जब हमारा राष्ट्रीय फल (आम) है, फूल (कमल) है, पक्षी (मोर) है, जलीय जंतु (गंगा डॉल्फिन) है और यहां तक कि हमारा एक राष्ट्रीय सूक्ष्मजीव (लैक्टोबैसिलस डेलब्रुकी), जिसे बगैर सूक्ष्मदर्शी के देखा भी नहीं जा सकता  है, तो राष्ट्रीय सब्ज़ी तो बनती है। राष्ट्रीय सब्ज़ी कई देशों में घोषित है। जैसे जापान में डॉइकॉन (एक किस्म की मूली), पाकिस्तान में भिंडी, चीन में एक प्रकार का पत्ता गोभी और अमरीका में आर्टीचोक और यूके में मटर। गौरतलब है कि मेंडल ने अपने आनुवंशिकी सम्बंधी महत्वपूर्ण प्रयोग मटर पर ही किए थे।
कहां से आया कद्दू 
उत्तरी अमेरिका का मूल निवासी कद्दू सबसे पुराने पालतू बनाए गए पौधों में से एक है। इसका उपयोग 7500 से 5000 ईसा पूर्व से किया जा रहा है। कुकरबिटेसी कुल का कद्दू हर मौसम की फसल है। आम तौर पर हमारे यहां कद्दू जुलाई की शुरुआत में लगाया जाता है। 
पम्पकिन फेस्टिवल
कद्दू के विशाल आकार को लेकर कई देशों में पंपकिन फेस्टिवल मनाया जाता है जहां सबसे बड़े कद्दू उत्पादक को पुरस्कृत किया जाता है। लगभग 1 टन वजन के भी कद्दू देखे गए हैं। दुनिया के सबसे भारी कद्दू 11905 किलोग्राम का रिकॉर्ड 2016 में बेल्जियम में स्थापित हुआ था।
राष्ट्रीय सब्ज़ी क्यों ?
यह आसानी से पहचाने जाने वाली एक बड़ी सब्ज़ी है। भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक पकाया-खाया जाता है। उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम सभी राज्यों में उपयोग किया जाता है। उत्तर भारत में मनाए जाने वाले छठ त्यौहार में पहले दिन कद्दू की सब्ज़ी और भात विशेष रूप से पकाया जाता है। भारत के विभिन्न भागों में इसकी पत्तियों और फू लों का साग और कचोरी पकौड़ा भी तैयार किया जाता है।