कानपुर सिख विरोधी दंगे एसआईटी ने अब तक दर्ज नहीं किए गवाहों के बयान

कानपुर, 20 सितम्बर (एजैंसी) : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगों के मामलों की जांच फिर से करने के लिए फरवरी 2019 में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अभी तक एक भी गवाह का बयान दर्ज नहीं किया है। ऑल इंडिया रियट विक्टिम रिलीफ कमेटी (एआईआरवीआरसी) का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दो वकील गुरबख्श सिंह देव और प्रसून कुमार शामिल हैं, ने गुरुवार को एसआईटी के (सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक, अभियोजन) सदस्य योगेश्वर कृष्ण श्रीवास्तव से बातचीत की। उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया। इसके अलावा उन्होंने मामले से जुड़ी फाइलों के गायब होने की खबरों का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि कोई फाइल गायब नहीं हुई है। सिर्फ हम अधिकतर एफआईआर या न्यायिक आदेशों या 1984 के मामलों से संबंधित कागजात का पता लगाने में असमर्थ हैं। लापता फाइलों की रिपोर्ट कानपुर दंगा पीड़ितों के परिवारों के लिए निराशाजनक साबित हुई है, जिनमें से कई भारत में अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो गए हैं तो कुछ विदेश चले गए हैं। एआईआरवीआरसी के अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने कहा कि वे अभी भी 35 साल बाद न्याय पाने की उम्मीद में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसआईटी जिस ढंग से कार्य कर रही है उससे वह निराश है।