तमिलनाडु: चीन के राष्ट्रपति शी चिनफंग महाबलीपुरम में अर्जुन की तपस्या स्थली पर पहुंचे

महाबलीपुरम (तमिलनाडु), 11 अक्तूबर (भाषा) : बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल को निहारते सातवीं सदी के पंच रथ स्मारक की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नारियल पानी का आनंद लिया और कश्मीर मामले पर तनावपूर्ण हुए द्विपक्षीय संबंधों को सहज बनाते हुए अनौपचारिक बातचीत की। पारम्परिक तमिल परिधान धोती, सफेद कमीज और अंगवस्त्रम पहने मोदी ने अच्छे मेजबान की भूमिका निभाते हुए शी को विश्व प्रसिद्ध धरोहरों अर्जुन तपस्या स्मारक, नवनीत पिंड (कृष्णाज बटरबॉल), पंच रथ और शोर मंदिर के दर्शन कराए। प्रधानमंत्री ने सफेद कमीज और काली पतलून पहने शी को इन स्मारकों के ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराया। शी चीन के फुजियांग प्रांत के साथ ऐतिहासिक रूप से जुड़े पल्लव वंश के दौरान निर्मित सातवीं सदी के इन स्मारकों में काफी रुचि लेते प्रतीत हुए। मोदी और शी के साथ एक-एक अनुवादक भी थे। दोनों पंच रथ परिसर में करीब 15 मिनट बैठे और उन्होंने नारियल पानी पीते हुए गहन वार्ता की। इस बैठक की तस्वीरों में दो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के बीच गर्मजोशी और तालमेल दिखा। दोनों नेता ‘पंच रथ’ से पल्लव वंश की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शोर मंदिर गए जिसकी रोशनी देखते ही बन रही थी। वहां कुछ समय बिताने के बाद मोदी और शी के साथ दोनों पक्षों के शीर्ष प्रतिनिधिमंडल भी वहां आ गए।  इसके कुछ मिनट बाद दोनों देशों ने शोर मंदिर की पृष्ठभूमि में एक सांस्कृतिक प्रस्तुति का आनंद लिया। इससे पहले, मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए यहां पहुंचे शी का चेन्नई में भव्य स्वागत किया गया। शी के यहां हवाईअड्डे पर पहुंचने पर तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने उनका स्वागत किया। शी के साथ चीनी विदेश मंत्री वांग यी, चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो सदस्य डिंग शुएशियांग और स्टेट काउंसलर यांग जिएची समेत 90 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत पहुंचा। शी के स्वागत में हवाईअड्डे पर एक छोटे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत को दिखाया गया। शी के चेन्नई हवाईअड्डे पर उतरने के कुछ ही देर बात सरकारी सूत्रों ने कहा कि दोनों नेता शनिवार को शिखर वार्ता के समापन के बाद कुछ निर्देश जारी कर सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच करीब छह घंटे बातचीत होगी।   और शी शनिवार सुबह आमने-सामने की बातचीत करेंगे, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी। इसके बाद दोनों पक्ष शिखर वार्ता के परिणाम पर अलग-अलग बयान जारी करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि दोनों पक्ष जानते हैं कि इन संबंधों पर काफी कुछ टिका है और यह इस बात से पता चलता है कि शिखर वार्ता के स्थगित होने को लेकर हालिया सप्ताह में लगाई गई अटकलों के बावजूद यह वार्ता पूर्व निर्धारित समय पर ही हुई। मोदी और जिनपिंग की अनौपचारिक शिखर वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब करीब दो महीने पहले ही भारत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेकर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट चुका है। पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने भारत के इस कदम की आलोचना की और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इस विषय को उठाया था। सरकारी सूत्रों ने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत का कोई सवाल नहीं उठता क्योंकि यह भारत का संप्रभु मामला है। हालांकि उन्होंने बताया कि इस मामले में यदि कोई प्रश्न उठता है तो मोदी चीनी राष्ट्रपति को जानकारी देंगे। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने कहा कि दोनों नेता व्यापार संबंधों के विस्तार के तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं।  उन्होंने कहा कि करीब 3500 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा पर अमन-चैन बनाये रखने के तरीकों, राजनीतिक संबंधों और व्यापार पर वार्ता में ध्यान दिया जा सकता है। दोनों नेताओं की पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता अप्रैल 2018 में चीन के शहर वुहान में हुई थी। चीन के फुजियान प्रांत से मजबूत कारोबारी संबंध रखने वाले महाबलीपुरम शहर को इस आयोजन के लिए सजाया-संवारा गया है तथा सुरक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह चाक-चौबंद रखी गई है।