अन्तर्राष्ट्रीय फुटबॉलर शिवम सिंह नेगी

उत्तराखंड के शहर देहरादून के नेत्रहीन स्कूल के नेत्रहीन खिलाड़ियों ने देश के अन्य खिलाड़ियों की तरह देश के लिए गौरवमयी उपलब्धियां प्राप्त की हैं जिन पर आज हमारा देश गर्व करता है। शिवम सिंह नेगी भी एक ऐसे उसी स्कूल का तराशा हुआ वह हीरा है जिन्होंने फुटबॉलर के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन किया है। शिवम सिंह नेगी का जन्म पिता ताजवार सिंह नेगी और माता गोदामवरी देवी के   घर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल इलाके के गांव रनसावा में हुआ। शिवम सिंह नेगी ने जन्म लिया तो वह जन्म से ही नेत्रहीन थे। माता-पिता के लिए यह एक सदमे की तरह था।  माता-पिता ने उनके उपचार के लिए कोई कमी नहीं रहने दी। आखिर डाक्टरों ने उनको पूरी ज़िन्दगी न देख सकने की पुष्टि कर दी और और माता-पिता अपने नेत्रहीन बच्चे को लेकर घर आ गये। शिवम ने बचपन की दहलीज़ पर पांव रखा तो वह इशारों और हाथों के सहारे कदम-दर-कदम मापने लगा और धीरे-धीरे शिवम ने अपने जीवन को अपनी अर्न्तात्मा से इस तरह एकजुट कर लिया कि अब वह स्वयं को नेत्रहीन न समझ सके अपितु दूसरे बच्चों की तरह खेलने लगा। उसकी इस जिंदादिली को देख माता-पिता ने सोचा कि इसे स्कूली शिक्षा दिलाई जाए। स्कूली शिक्षा के लिए दिलाने के लिए देहरादून के नेत्रहीन बच्चों के लिए बने स्पैशल स्कूल एन.वाई.वी.एच. में दाखिल करवा दिया और शिवम स्कूल में नर्सरी कक्षा में आया था और आज वह 12वीं कक्षा का प्रतिभावान विद्यार्थी है। स्कूल में उसे बड़े ही प्रभावशाली कोच और अध्यापक नरेश सिंह नयाल का सहयोग मिला और आज शिवम सिंह नेगी एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी ही नहीं अपितु वह बहु-पक्षीय प्रतिभाशाली विद्यार्थी है जो इस की समय में यू- टयूब पर भी मोटीवेशन वीडियो शेयर करता है ताकि उससे अन्य नेत्रहीन स्वयं को हीन-भावना से नहीं अपितु स्वभाविमान से अपने भीतर देखकर ज़िन्दगी जीने का तरीका सीख सकें। वर्ष 2019 में वह एक मात्र भारतीय नेत्रहीन खिलाड़ी हैं जिसने थाइलैंड के शहर पताया में एशियन खेलों के दौरान दो गोल करके भारत को जीत हासिल करवाई और उससे पूर्व वह उत्तराखंड का गोल्ड मैडलिस्ट नैशनल पैरा एथलीट का खिताब भी अपने नाम कर चुका है। शिवम सिंह नेगी के कोच नरेश सिंह नयाल ने बताया कि शिवम का सपना है कि वह भारतीय नेत्रहीन फुटबॉल टीम के लिए वर्ल्ड कप और पैरा ओलम्पिक में जीत दर्ज कर भारत के लिए स्वर्ण पदक लेकर आए और उस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए वह दिन-रात मेहनत करता है। 

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