अनोखा वरदान
एक भक्त कई दिनों तक भगवान की भक्ति में लीन रहा। भूख-प्यास से बेहाल हो गया, लेकिन लग्न ऐसी लगी कि खाने-पीने की कोई परवाह नहीं की। तपस्या में लीन रहा। आखिरकार भगवान को उस पर रहम आ गया तो उस व्यक्ति को भगवान ने दर्शन देकर कहा, मांगे वत्स। क्या वरदान मांगना चाहते हो। क्यों इतनी कठिन तपस्या कर रहे हो। भक्त खुश तो हुआ लेकिन वह शर्माने लगा। भगवान ने कहा, मुझे कई काम करने हैं तुम वरदान मांगो। भक्त बोला, प्रभु कहीं आप मेरा मज़ाक तो नहीं उड़ायेंगे? भगवान ने कहा, भला मैं ऐसा क्यों करूंगा। मैं तो खुश होकर तुम्हें वरदान देने आया हूं। वरदान देकर वापिस लौट जाऊंगा। मांगों क्या मांगना चाहते हो डरो मत व देरी मत करो। भक्त हाथ जोड़कर बोला, प्रभु मुझे बस इतना ही वरदान दे दो कि मैं चमगादड़ बन जाऊं। भगवान को हैरानी व हंसी भी आ गई। वे बोले, तुमने इतनी कठिन तपस्या की जितनी कि हर कोई नहीं कर सकता फिर वरदान तो कोई ढंग का मांगते यह क्या मांग रहे हो तुम? भक्त बोला, प्रभु। मैंने जितनी भी तपस्या की है वह चमदागड़ बनने के लिए ही की है। इसलिए मैं दूसरा कोई वरदान नहीं मांगूगा। आप यह वरदान नहीं देना चाहते तो कोई बात नहीं लेकिन अब मैं और कुछ नहीं मांगूंगा। भगवान बोले, अरे! नाराज़ मत हो। मैं तुम्हें चमदागड़ बनाने से पहले कहना चाहता हूं कि तुम शेर, चीता, खरगोश, कोयल आदि क्यों नहीं बनना चाहते केवल चमगादड़ ही क्यों बनना चाहते हो? भक्त बोला, प्रभु शेर जंगल का राजा ज़रूर है, कोयल मीठा गाती है, लेकिन ये फिर भी पूरी दुनिया को हिला नहीं सकते, डरा नहीं सकते। यह काम केवल चमगादड़ ही कर सकता है। प्रभु! आपने पूरी दुनिया बनाई इसीलिए सभी आपकी पूजा करते हैं तपस्या-आराधना करते हैं इसी दुनिया को मैंने सुना है एक चमगादड़ ने हिलाकर रख दिया। जो स्वयं उल्टा लटका रहता है उस छोटे-से पक्षी ने दुनिया को ही उल्टा लटका दिया है। चीन, अमरीका किसी से नहीं डरते, इटली व, इरान दूसरों को डराते हैं ये सभी एक चमगादड़ से डरे हुए हैं इसलिए मेरे मन में यह विचार आया कि क्यों न मैं भी चमगादड़ बन जाऊं ताकि पूरी दनिया मुझसे खौफ खाने लगे यही सोचकर मैं आपकी भक्ति में लीन हो गया व आज आप मुझे यह वरदान देने में आनाकानी कर रहे हैं। भगवान बोले, वत्स! नाराज़ क्यों हो। यह भी तुम्हें बता देना ज़रूरी समझता हूं कि चमगादड़ के साथ क्या क्या होता है। तुम मेरे भक्त हो इसलिए तुम्हारा बुरा हो यह मैं कदापि नहीं चाहूंगा। इसलिए सुनो, तुम्हें हमेशा उल्टे लटके रहना होगा फिर जिन देशों की तुम बात कर रहे थे वे चमगादड़ के पंख उधेड़ कर फिर उसे काटकर तेल में फ्राई करते हैं व पूरा परिवार शौक से खाता है क्या तुम ये सब सहन कर लोगे। यदि कर सकते हो तो मैं अभी तुम्हें इसी पल चमगादड़ बना देने को तैयार हूं। भगवान के मुख से इतना सुनते ही भक्त डर से कांपने लगा व भगवान के पांव पकड़ कर बोला, प्रभु आपने मेरी आंखें खोल दी। मुझे सच बता दिया कि चमगादड़ का क्या हाल होता है। मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। भक्त इतना डर गया कि वहां से भागने लगा तो भगवान ने उसे रोकते हुए कहा, सुनो किसी में इतनी ताकत नहीं कि वह मेरी बनाई दुनिया को हिला दे। चमगादड़ से ़खतरनाक वायरस तो मनुष्य में होता है जब वह खून का प्यासा हो जाता है। दया करना भूल जाता है, स्वार्थी हो जाता है, अहंकार में डूब जाता है। प्रकृति को भी नहीं बख्शता तो उसका विनाश निश्चित है। उसे फिर मैं भी नहीं बचा सकता, लेकिन जो दया-परोपकार, धर्म का मार्ग नहीं छोड़ता, दूसरों को नहीं सताता उसे कोई वायरस नहीं मार सकता। अब भक्त सच्चाई जान चुका था व भगवान वहां से प्रस्थान कर चुके थे।
-ठोडो ग्राऊंड मोड़, सोलन (हि.प्र.) 173212