पाकिस्तानी रहनुमां : खुद ही तमाशा है और खुद ही तमाशाई

पाकिस्तान की अजब सियासत और गज़ब सियासतदान। आज कल ऐसा खेल खेल रहे जैसा साधारणत: देखने सुनने को कम मिलता है। मौलाना अज़ल-ऊल-रहमान ने ग्यारह विपक्षी दलों को अपने साथ लेकर गुजरावाला से कराची और कोएटा से होते हुए पेशावर तक इमरान खान और जनरल बाजवा के खिलाफ खुल कर जन-साधारण की तकलीफों की बात की। इसमें राजनीतिक दलों के दो वारिस मोहतरमा मरियम शरीफ और बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने देश में फैले भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी पर शासक और सैनिक अधिकारियों के घपलों-घोटालों-स्कैंडलों को ज़ोरदार शब्दों में उजागर किया। इस पर शासक दल और सैन्य अधिकारी इतने परेशान हुए कि उन्होंने आई.जी. कैप्टन मोहम्मद सफदर जो नवाज़ शरीफ का दामाद और मरियम शरीफ का शौहर है। उन्हें एक होटल के कमरे का दरवाज़ा तोड़ कर गिरफ्तार किया जिस पर कराची की पुलिस और सेना में संघर्ष हुआ और जिसमें कुछ लोग मारे गए। हैरान करने वाली बात है कि सिंध पर बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का शासन है। इस पर कराची की पुलिस में अफर-तफरी की स्थिति देखने को मिली। कई पुलिस अधिकारी तो छुट्टी पर चले गए। पाकिस्तान के संजीदा लोग तमाशबीन बन कर यह सब देखते रहे। जिसका प्रभाव यह हुआ कि पाकिस्तान की नेशनल असैंबली जो संसद कही जाती है, में लाहौर से निर्वाचित एक सांसद हय्यात सादिक ने अभिनंदन की रिहाई की घटना सुनाई कि जिस दिन भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन गिरफ्तार हुआ उस दिन एक हंगामी मीटिंग बुलाई गई जिसमें विपक्षी दलों के नेता और शासक दल शामिल हुए। अफसोस की बात है कि यह बैठक प्रधानमंत्री इमरान खान के आह्वान पर थी परन्तु वह इसमें शामिल न हुए। तब पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा कांपते और पसीना-पसीना हुए बैठक में आए तब शाह महमूद कुरैशी जो विदेश मंत्री हैं, ने बैठक में बताया कि खुदा के लिए अभिनंदन को छोड़ना ही पड़ेगा। अगर हमने ऐसा न किया तो भारत पाकिस्तान पर रात्रि 9 बजे तक हमला कर देगा। इस घटना का विवरण लाहौर के सांसद ने नेशनल असैंबली में दिया। हय्यात सादिक साहब पाकिस्तान संसद के पूर्व स्पीकर रहे हैं। यही सुन कर पाकिस्तान के लोगों ने दांतों तले उगुंली दबा ली। यही पर बस नहीं इमरान खान के चहेते मंत्री पवाद चौधरी ने संसद को बताया कि पाकिस्तान ने भी भारत में घुस कर मारा है। पुलवामा ब्लास्ट इमरान खान साहिब की क्यादत यानि लीडरशिप में सर अंजाम दिया गया। इस पर भारत के वे लोग जो पुलवामा की भयानक घटना पर प्रश्न खड़े कर रहे थे। वे परेशान तो हुए परन्तु पाकिस्तान में यह सुनकर आतंकवाद के विरुद्ध बोलने वाले लोग मुंह छिपाते फिरे। फ्रांस में हुए हज़रत मौहम्मद साहिब के बारे में कुछ कैरीकेचर वाले वाक्या पर चार लोगों को मौत के घाट उतारा गया। इस पर मौलाना खादिम हुसैन ने एक पब्लिक मीटिंग में कहा कि  पाकिस्तान फ्रांस पर एटम बम गिरा दे। कोई पूछे कि ऐसे लोग भी मौलाना बन जाते हैं। एक पाकिस्तान का मंत्री भी ऐसी बातें करता रहा कि पाकिस्तान के पास पाव भर, फिर आधा सेर, फिर सेर वज़न के एटम बम है जिस पर मुस्लिम स्कालर तारिक फतेह ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि खुदा के वास्ते एक बार जा कर देख लो कि बम होता कैसा है? अजीब तमाशा हो रहा है। इमरान खान जमहूरियत के अप्रिय नायक बनते जा रहे हैं तभी तो उनके एक निकटतम खिलाड़ी साथी सरफराज़ नवाज़ ने कहा है कि इमरान खान नशेड़ी है। यह नशे का नियमित सेवन करता है। यह कोई फैसला करने की काबिलियत नहीं रखता। हो सकता है सरफराज़ ठीक कहते हों इसी कोरोना महामारी के मकड़जाल से पाकिस्तानियों को निकाल पाने की सलाहियत नहीं दिखा सका। पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में इसलिए है क्योंकि वह दहशतगर्दी के जुनून की गिरफ्त में है। महंगाई गरीब के घर का चूल्हा ठंडा कर रही है। खाने के एक-एक दाने के लिए लोग तरस रहे हैं और वहां के मुल्ला मौलवी नफरत की खेती लहलहाने पर आग उगलती भाषा में बोले जा रहे हैं। उन्हें पाकिस्तान के साधारण लोगों के भविष्य की पुकार भी सुनाई नहीं देती। कहीं ऐसा न हो कि एक दिन बगावत की चिंगारियां शोला बन जाए। यह बात तो जग-जाहिर है कि पाकिस्तान की पिछड़ती कूटनीति ने उसे कहीं का न छोड़ा, न दीन का न दुनिया का। इमरान खान और जनरल बाजवा अपने मोहरे बिठाने पर दिन-रात एक कर रहे हैं लेकिन उन्हें कौन समझाए कि बिगड़ी बिसात के मोहरे हर बार पिट जाते हैं और पिटते रहेंगे। पाकिस्तान के लोग यह नहीं जानते कि दुनिया बदल गई है। अब आतंकवाद और नफरत बहुत देर तक शासन चला पाने में सफल नहीं हो सकते। जो पाकिस्तान में तमाशा हो रहा है, उसके तमाशाई भी वही स्वयं हैं। दुनिया ने पाकिस्तान को किसी गिनती में रखा ही नहीं। चीन की चाटुकारिता करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं सिवाय इसके कि ‘चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात’ और अंधेरे में रास्ता बनाने की जुगत अब चांदनी वाली नहीं। पाकिस्तान के अवाम महंगाई और अभाव में तिल-तिल सुलगती ज़िन्दगी जी रही है। उसे राहत चाहिए, बम-बंदूक और बारूद की खून की अधबुझी प्यास उसे दिलासा नहीं दे सकती जब वह बच्चों को दूध के लिए तरसता देखती है तो उसका जी चाहता है कि पाकिस्तान के रहनुमाओं से दो-दो हाथ कर ही ले। जब राज नेता महंगी गाड़ियों और बड़े-बड़े बंगलों में बैठ कर गरीबी उन्मूलन की बातें करते हैं तो पाकिस्तान का एक साधारण आदमी अपना सिर पीट कर रह जाता है। फिज़ूलखर्ची और आरामदेह ज़िन्दगी जीते बच्चों की हालत-ए-ज़ार पर गुस्सा आने लगा है। सियासतदानों का बड़बोलापन का तमाशा कब तक चलेगा। शायद वे नहीं जानते अपने तमाशे पर खुद ही तमाशाई हैं और इनका तमाशा बनने में कट्टरवाद का भी हाथ है।