पर्यावरण की सुरक्षा प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी

पर्यावरण शुद्ध रहने से ही मानव स्वस्थ्य रहता है वरना तो मानव जीवन भी कठिनाई में पड़ जाता है तथा लोग बार बार बीमार पड़ते रहते है। भारत का यह दुर्भाग्य है कि कोई भी राजनीतिक दल बढ़ते प्रदूषण की तरफ  गम्भीरता से ध्यान नहीं देता तथा वर्ष में एक दो बार पर्यावरण दिवस अथवा किसी अन्य मौके पर पौधारोपण करवा कर राजनीतिक दल अपने कर्त्तव्य की इति श्री कर लेते हैं। कोई भी राजनीतिक दल चुनावों में अपने घोषणा पत्र जारी करते समय उन घोषणा पत्रों में पर्यावरण के लिए कुछ भी नहीं लिखते हैं। पर्यावरण प्रदूषण भी उतनी ही गम्भीर समस्या है जितनी कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बीमारी व महंगाई आदि। राजनीतिक दलों को अपने अपने कार्यकर्ताओं को पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिए उद्बोधन करना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की होती है।
भारत में धीरे-धीरे ही सहीए वन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो रही है। 2017 में 21.54 प्रतिशत, 2019 में 21.67 प्रतिशत तथा 2021 में 21.71 प्रतिशत वन क्षेत्र था। ईंधन के लिए पेड़ों की कटाई की बजाय बिजली पर ध्यान दिया जाना चहिए। ईंधन के लिये बिजली का उत्पादन भी गैर पारम्परिक तरीके से हो रहा है। देश में 409 गीगा वाट का कुल बिजली का उत्पादन होता है जिसमें 6.7 गीगा वाट परमाणु ऊर्जा संयत्रों में, 236 गीगा वाट बिजली का उत्पादन जीवाश्म ईंधन आधारित संयत्रों मे होता है। 166 गीगा वाट बिजली उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से होता है जो इस प्रकार है, 61.9 गीगा वाट सौर ऊर्जा से, 46.8 गीगा वाट बिजली बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं से, 41.8 गीगा वाट बिजली का उत्पादन पवन ऊर्जा से होता है। 10.5 गीगा वाट बिजली का उत्पादन बायोमास से तथा 4.9 गीगा वाट बिजली के उत्पादन हेतु लघु जल विद्युत परियोजनाओं से स्थापित क्षमता है। 
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत ने कई लक्ष्य समय से पूर्व प्राप्त कर लिये है। भारत ने 40 प्रतिशत बिजली का उत्पादन 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया गया था जिस लक्ष्य को 2021 में ही प्राप्त कर लिया गया। इसी प्रकार 33.35 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन में कटौती का लक्ष्य 2030 तक किया गया है। वर्ष 2021 में ही भारत ने 28 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन तक कटौती का लक्ष्य प्राप्त कर लिया था। भारत में पैट्रोल में एथेनाल को मिलाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा। यह लक्ष्य 20 प्रतिशत तक रखा गया है तथा आशा की जानी चाहिए कि वह भी शीघ्र प्राप्त कर लिया जायेगा।
वन विभाग को चाहिए कि वह वन क्षेत्र में ईको टूरिज्म की परियोजनाओं को चलाये। हरियाली बढ़ेगी तो वन्य जीवों की संख्या भी बढ़ सकेगी तथा आसपास के ग्रामीणों को रोज़गार मिल सकेगा। वन्य क्षेत्र में पर्यटकों के लिए केन्टीन व खेल कूद पार्क इत्यादि स्थापित होने से भी रोज़गार बढ़ सकेगा। जैव विविधता बढ़ने से विदेशी पक्षियों का भी आगमन हो सकेगा जिनको देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते है। वन विभाग को चाहिए कि वह ग्रामीणों को वन व पर्यावरण संरक्षण का भी प्रशिक्षण दे जिससे वे क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के गाइड बन सकें। नहर व रेल लाईनों के किनारे क्षेत्र में राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा महापुरुषों के जन्म दिवस तथा अन्य महत्वपूर्ण त्यौहारों व दिवसों आदि पर पौधारोपण के कार्यक्रम वन विभाग के द्वारा आयोजित किये जाने चाहिए जिससे पर्यावरण संरक्षण के विकास में तेज़ी आ सके।
राजनीतिक दल अपने अपने कार्यकर्ताओं का उपयोग मात्र आंदेलन आयोजित व प्रदर्शन इत्यादि करने में ही करते है जिससे युवा कार्यकर्ताओं की शक्ति का सदुपयोग नहीं हो पाता है। किसी बात के विरोध में आंदोलन करते समय भी खाली पड़ी ज़मीनों पर पौधारोपण किया जाना चाहिए। आंदोलन में युवा शक्ति का निरर्थक नहीं सार्थक उपयोग किया जाना चाहिए। देश के पर्यावरण में सुधार पौधारोपण में तेज़ी लाने से ही हो पायेगा। बस राजनीतिक दलों को अपनी दृष्किण में थोड़ा बदलाव लाना पड़ेगा और पर्यावरण में सुधार के लिए सरकार पर अपनी निर्भरता कम करनी पड़ेगी। सभी पक्ष व विपक्षी राजनीतक दलों को अपने कार्यकर्ताओं को पर्यावरण की रक्षा तथा संरक्षण के लिए व्यक्तिगत एवमं सामूहिक कदम उठाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। भारतीय ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों को भी स्वच्छ पर्यावरण हेतु शीघ्र से शीध्र व लगातार पौधारोपण करवाना चाहिए। (अदिति)