प्रेरक प्रसंग पूर्णता के लिए

काफी समय पहले की बात है। पानी के भरे घड़े के ऊपर रखी एक छोटी-सी कटोरी ने घड़े से शिकायत भरे लहजे में कहा-‘तुम प्रत्येक बर्तन को जो तुम्हारे पास आता है, अपने शीतल जल से भर देते हो। किसी को भी खाली नहीं लौटाते, परंतु मुझे कभी नहीं भरते, जबकि मैं सदा तुम्हारे साथ रहती हूं। इतना पक्षपात तो तुम्हें शोभा नहीं देता।’ घड़े ने उस कटोरी की बात सुनकर बस मुस्कुरा दिया।
घड़े की इस मुस्कुराहट से कटोरी आग-बबूला हो गई और क्रोधित होते हुए फिर घड़े से कहा, ‘तुमने मेरे प्रश्न का जवाब नहीं बल्कि मेरी हंसी उड़ायी। यह अच्छी बात नहीं है।
घड़े ने उसकी बात सुनकर फिर मुस्कुराते हुए शांत स्वर में कहा, ‘मैंने तुम्हारी हंसी नहीं उड़ायी और न ही मैं तुम्हारे साथ कोई पक्षपात कर रहा हूं। मैं तो इस बात पर मुस्कुरा रहा था कि तुम भी देखते हो कि सभी बर्तन मेरे पास आकर विनीत भाव से झुकते हैं, जिससे मैं उन्हें अपने शीतल जल से भर देता हूं, परंतु तुम तो गर्व से चूर हमेशा मेरे सिर पर सवार रहती हो इसीलिए मैं तुम्हें भर नहीं पाता हूं। यदि तुम भी नम्रता से जरा झुकना सीखो तो तुम भी कभी खाली नहीं रहोगी और न तुम्हें मुझसे कोई शिकायत रहेगी।’