चीन, मलेशिया व तुर्की ने पाक को काली सूची में जाने से बचाया

नई दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) वैश्विक आतंकवाद वित्तपोषण निगरानी संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में ही रखने का फैसला किया और उसे चेतावनी दी कि अगर वह उसकी जमीन से आतंकवाद को मिल रही आर्थिक मदद में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाकर उन्हें दंडित नहीं करता तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। पेरिस में शुक्रवार को ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ (एफएटीएफ) के चल रहे पूर्ण सत्र में छह दिन तक विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया गया। एक सूत्र ने बताया कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में ही रखने का फैसला किया। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को यह चेतावनी भी दी कि अगर वह जून महीने तक पूरी कार्य योजना को अमली जामा नहीं पहनाता तो उसके कारोबारों पर असर पड़ सकता है। एफएटीएफ द्वारा जारी बयान के अनुसार पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए दी गईं सभी समय सीमाएं समाप्ति की कगार पर हैं लेकिन वह तय समयसीमा के भीतर कार्ययोजना को पूरा करने में नाकाम रहा। पाकिस्तान ने आतंकी समूहों को वित्तीय सहायता पर लगाम कसने के लिए दिए गए 27 कार्यों में से अभी तक 14 ही पूरे किए हैं और बाकी कार्ययोजना में प्रगति विभिन्न स्तरों पर है। बयान में कहा गया, ‘‘एफएटीएफ पाकिस्तान से उसकी पूरी कार्ययोजना को त्वरित तरीके से जून 2020 तक पूरा करने का पुरजोर आग्रह करता है। अगर अगले पूर्ण सत्र तक आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में अभियोजन चलाने और दंडित करने में महत्वपूर्ण और सतत प्रगति नहीं हुई तो एफएटीएफ कार्रवाई करेगा। इसमें एफएटीएफ द्वारा उसके सदस्यों से उनके वित्तीय संस्थानों को पाकिस्तान के साथ कारोबारी संबंधों और लेनदेन पर विशेष ध्यान देने की सलाह देने के लिए समस्त अधिकारों का इस्तेमाल करने को कहा जाएगा।’’  चीन, मलेशिया और तुर्की की मदद से पाकिस्तान ‘काली सूची’ में जाने से तो बच गया, लेकिन उसे ‘संदिग्ध सूची’ से बचने के लिए 13 देशों के समर्थन की दरकार थी, जो उसे नहीं मिला।