फौलादी किले सी मज़बूत एक तानाशाह की सीक्रेट ट्रेन

इन दिनों विश्व मीडिया में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की सीक्रेट ट्रेन की खूब चर्चा है। इस समय जबकि मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं वॉल स्ट्रीट जर्नल और द न्यूयार्क टाइम्स जैसे अमरीकी अखबारों का मानना है कि किम जोंग उन, कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से पहली बार अपनी विदेश यात्रा पर निकल चुके हैं। वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने जा रहे हैं। हालांकि पहले इस मुलाकात और इस सफर की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी, लेकिन 9 सितम्बर 2023 को रूस द्वारा इस भावी मुलाकात की पुष्टि कर दी गई है और कौन जाने जब ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, तब तक यह मुलाकात हो चुकी हो या हो रही हो। बहरहाल हमारे लेख का यह विषय नहीं है। हम तो तानाशाह किम जोंग उनकी उस रहस्यमयी ट्रेन के बारे में जानने जा रहे हैं, जिसको लेकर इन दिनों सैकड़ों तरह की बातें हो रही हैं।
इस ट्रेन से अलग-अलग समय पर सफर कर चुके कई रूसी और चीनी अधिकारियों ने इसकी खूबियों का जो अलग-अलग जगहों पर जिक्र किया है, यह लेख उन सारी खूबियों को एकत्र करके तानाशाह की सीक्रेट ट्रेन की समूची तस्वीर बनाने की कोशिश है। चूंकि पिछले दिनों किम जोंग उनकी यह सीक्रेट ट्रेन दुनिया के कुछ सैटेलाइट्स और खुफिया एजेंटों द्वारा देखी गई है, इसलिए दुनियाभर में इसकी चर्चा हो रही है। सबसे पहले इसकी संख्या पर बात करते हैं। दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी के मुताबिक किम जोंग उनके पास ऐसी कोई एक या दो ट्रेन नहीं हैं बल्कि कई दर्जन ऐसी ट्रेनें हैं और कई दर्जन इस ट्रेन की डुप्लीकेट ट्रेन भी हैं। कुल मिलाकर अगर अलग-अलग खुफिया एजेंसियों द्वारा किम जोंग उनकी इस ट्रेन की भिन्न-भिन्न संख्याओं का एक औसतन अनुमान निकालें तो माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उनके पास ऐसी 90 ट्रेन हैं, जिनमें से किसी एक में वह बैठकर इन दिनों रूस की यात्रा पर गया हुआ है।
किम जोंग उनकी यह सीक्रेट ट्रेन पूरी तरह से बुलटप्रूफ है। अगर इस ट्रेन पर परमाणु बम से भी हमला कर दिया जाए तो इसके अंदर बैठे लोगों को तात्कालिक रूप से कोई नुकसान नहीं होगा। यह फौलादी किले जैसी ट्रेन है। यह जितनी मज़बूत है, उतनी ही लक्जरी भी है। कहा जाता है कि किम जोन उनकी इस ट्रेन में खाने पीने के वे तमाम लजीज व्यंजन भरपूर रूप से मौजूद रहते हैं, जो किम जोंग उनको पसंद हैं। दक्षिणी कोरियाई मीडिया की माने तो उत्तर कोरिया का यह तानाशाह जब अपनी इस सीक्रेट ट्रेन में सवार होकर निकलता है, तो यह ट्रेन अकेले नहीं निकलती। इसके आगे-आगे एक ट्रेन चलती है और एक ट्रेन इसके पीछे होती है। कम से कम तीन रेलगाड़ियां तो एक साथ सफर कर रही होती हैं। आगे वाली ट्रेन ट्रैक की जांच के उद्देश्य से चल रही होती हैं, कि कहीं कोई बम आदि न रखा हो। जबकि तीसरी ट्रेन में तानाशाह के तमाम अधिकारी, उसके परिवार के लोग और महत्वपूर्ण संचार उपकरण मौजूद होते हैं। जिस ट्रेन में किम जोंग बैठता है, जोकि आमतौर पर बीच की ट्रेन होती है, वह अपने आपमें किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं होती। ट्रेन में बेहद संवेदनशील और उच्चकोटि के संचार और सुरक्षा उपकरण लगे होते हैं। सेटेलाइट फोन से ट्रेन हर समय उत्तरी कोरिया की सेना के महत्वपूर्ण कमांड से जुड़ी होती है। किम जोंग उन के बैठक कक्ष में ही नहीं बल्कि उसके आराम कक्ष और टी स्पेस में भी फ्लैट टीवी स्क्रीन लगे हुए हैं, जहां वह बैठकर दुनियाभर की पल पल की खबरों पर नज़र रखता है। किम जोंग उन हमेशा अपने आधा दर्जन सुरक्षा गार्डों और महत्वपूर्ण मंत्रियों व अधिकारियों से घिरा रहता है।
सवाल है कि किम जोंग उन आखिर इस हवाई युग में ट्रेन से सफर क्यों करता है? इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तो यह है कि 39 वर्षीय उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन विदेश यात्रा के नाम पर आमतौर पर अपने दो पड़ोसियों चीन और रूस के यहां ही जाता है, इन दोनों ही देशों में कम्युनिस्ट शासन या तो है या रहा है और इन दोनों देशों की सीमाएं उत्तर कोरिया से जुड़ी हुई हैं। इसलिए उसे इन दोनों देशों में जाने के लिए किसी और देश से नहीं गुजरना पड़ता। दूसरी बड़ी बात यह है कि तानाशाह किम जोंग उन अपने पिता किम जोंग इल की तरह हवाई जहाज में बैठने से घबराता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि उसने कभी हवाई यात्रा की ही न हो। दो बार तो वह हवाई जहाज में चीन भी जा चुका है। लेकिन आमतौर पर अपने पिता की तरह उसे भी आसमान से उड़ने में डर लगता है। दूसरी बात यह है कि उसे यह ट्रेन उसके पिता ने भेंट की थी और अपनी सुरक्षा के लिए इसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करने के लिए कहा था।
हालांकि इस ट्रेन की रफ्तार बहुत कम है। इसकी औसतन गति महज 37 मील प्रतिघंटा तक है। इसीलिए इस बख्तरबंद ट्रेन में बैठकर जब किम जोंग उन पुतिन से मिलने जाता है तो रूस के जिस निकटतम शहर में दोनों की मुलाकात होती है, वहां तक पहुंचने में आमतौर पर उस 20 घंटे लग जाते हैं। लेकिन समय भले लगता हो, लेकिन यह सफर बेहद सुरक्षित रहता है। यह ट्रेन हमेशा 100 से अधिक जांबाज कमांडोज से घिरी रहती है। इस ट्रेन के आगे जो ट्रेन चलती है वह भी इतनी ही मज़बूत होती है और पीछे वाली भी। आगे वाली ट्रेन सिर्फ रास्ते और रास्ते में पड़ने वाली स्टेशनों को स्कैन करने और तानाशाह की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए चलती है।
साल 2011 में यानी जब से किम जोंग उन उत्तर कोरिया का सर्वोच्च नेता बना है, तब से अभी तक वह इस ट्रेन में 10 से ज्यादा बार सवार हो चुका है। साल 2002 में किम जोंग के साथ सफर करने वाले एक रूसी अधिकारी ने किम की इस सीक्रेट ट्रेन के बारे में पश्चिमी मीडिया को बहुत कुछ बताया था। उसी से पता चला था कि इस ट्रेन के भीतर तानाशाह किम जोंग उनके खाने के लिए लजीज पोर्क बारबेक्यू, फ्रेश लॉबस्टर और महंगी फ्रेंच शराब मौजूद रहती है। जब किम जोंग उन इस लम्बे सफर में थकान या ऊब का अनुभव करता है तो उसके मनोरंजन के लिए ट्रेन में एक दर्जन से ज्यादा रूसी और कोरियाई भाषा बोलने वाली लेडी कंडेक्टर होती हैं, जो तानाशाह का हर किस्म का मनोरंजन करती हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर