महिलाओं की दोहरी ज़िम्मेदारी की चुनौतियां

आधुनिक तेज़ रफ्तारी और भौतिकवादी युग में महिला पुरुष के साथ आर्थिकता में भी हाथ बंटा रही है। चाहे आज  की महिला, डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफैसर, अफसर आदि बड़े-बड़े पदों को संभाले हुए है, लेकिन वह गृहलक्ष्मी या गृहिणी जैसे पदों को भी साथ-साथ निभा रही है। चाहे वह बड़े से बड़े पद पर हो या बहुत सारा पैसा कमाने की समर्था रखती हो, फिर भी बच्चों को पैदा करना, उनका पालन-पोषण करना, उनकी पढ़ाई-लिखाई में उनकी मदद करना, रसोई का काम, सामाजिक ज़िम्मेदारियों को निभाना सारा कुछ एक महिला के हिस्से ही आया है। हो सकता है कुछ महिलाएं ऐसी हों, जिनके घर में चाहे कुछ भी हो, उसकी परवाह किए बिना अपनी नौकरी पर अधिक ध्यान देती हैं, लेकिन अधिकतर महिलाओं का स्वभाव ऐसा होता है कि वह अपनी पारिवारिक, सामाजिक और कार्यालय की ज़िम्मेदारियों में संतुलन बनाने की कोशिश में लगी रहती हैं। 
यह दोनों काम किस तरह से स्वाभाविक ढंग से किए जा सकें, इसके लिए थोड़ा-सा सोच-समझ कर काम लिया जाए तो महिला घर को खुशहाल और अपनी नौकरी को बहुत आनंद और खुशी से निभा सकती है।
कामकाज़ी औरतों में कुछ ऐसी महिलाएं भी होंगी, जिनके पास सहायक भी मौजूद होते हैं या फिर संयुक्त परिवारों में जेठानी, सास और कोई और महिला भी सहायता कर सकती है। कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं, जिनको सारा काम खुद ही करना पड़ता है। उनके बच्चे या पति थोड़ा सा सहयोग ज़रूर देते हैं। बिना किसी सहयोग के नौकरी करना और घर के वातावरण को साफ-स्वच्छ रखना नौकरीशुदा महिला के लिए बड़ी चुनौती है।
अगर घर में पक्का या पार्ट टाईम सहायक है तो उसको काम करने का तरीका सिखा कर अपनी ज़रूरत के अनुसार काम लिया जा सकता है, जिससे नौकरी पर जाने वाली महिलाएं काम पर जाने से पहले काफी काम पहले निपटा सकती हैं। रात को सोने से पहले सुबह का नाश्ता और दोपहर के खाने की सही योजना और तैयारी करके काफी हद तक काम को निपटाया जा सकता है।
अगर बच्चे बड़े हैं तो उनको अपना काम खुद करने की आदत डालो। कामकाज़ी महिला के लिए आस-पड़ोस से अच्छे संबंध बनाए रखने की ज़रूरत भी है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर कोई काम आ सके। अगर बच्चे छोटे हैं तो जिस सहायक के पास आप उनको छोड़ रहे हैं, उनका सही प्रबंध (खान-पान और पहनने का) के कारण ही जाना चाहिए। अपना कीमती सामान अपनी अलमारी में रखें, बच्चों के भरोसे पर नहीं। नौकरी करने वाली महिलाओं की सबसे बड़ी चुनौती है घर के बुजुर्गों और बच्चों की देखभाल।
नौकरी करने वाली महिलाओं को घर और अपने काम की दोहरी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए पति, बच्चों और घर के अन्य सदस्यों से सहयोग की बड़ी उम्मीद होती है। 
घर के सदस्यों को भी उनका सहयोग करना चाहिए, क्योंकि वह घर की आर्थिक स्थिति को संभालने में महत्वपूर्ण योगदान डालती है। कामकाज़ी महिलाओं की ज़िंदगी में घरेलू महिलाओं के मुकाबले में अपने लिए समय निकालना मुश्किल होता है। लेकिन कोशिश करनी चाहिए कि समय निकाल कर शारीरिक और मानसिक सेहत पर ध्यान रखा जाए। कसरत, योगा, साइकलिंग की सहायता ली जा सकती है क्योंकि नौकरी करने वाली महिलाओं के जीवन में तनाव की सम्भावनाएं और स्थितियां अधिक होती हैं। इसलिए उनको अपनी सेहत पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
इस प्रकार समय का सही उपयोग करके रिश्तों को सुखद बनाया जा सकता है। परिवार के लोगों का ध्यान रखकर और उनके सहयोग से नौकरी वाली महिला अपनी दोहरी ज़िम्मेदारी को बाखूबी निभा सकती है। तनावमुक्त रहो।