कश्मीर में तूफान से पहले की शांति है : पाकिस्तान

जिनेवा, 10 सितम्बर (एजैंसी) : कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की अपनी कोशिशों के तहत पाकिस्तान ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएचआरसी) में इस मुद्दे को उठाया और अपने पहले के ही आरोपों को दोहराया। साथ ही परोक्ष चेतावनी भी दे डाली कि ‘कश्मीर में तूफान से पहले की शांति है।’ पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूएनएचआरसी में कश्मीर मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि बीते छह हफ्तों से हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता नज़रबंद हैं। उन्होंने एक बार फिर तथ्यों से मेल नहीं खाने वाली तमाम बातें कहीं, जिनमें से एक यह भी है कि ‘कश्मीर को दुनिया की सबसे बड़ी जेल’ बना दिया गया है। 
कुरैशी ने अपनी बात में वजन पैदा करने के लिए बीबीसी की रिपोर्ट का सहारा लिया। उन्होंने सम्मेलन में प्रतिनिधियों से कहा कि आप सभी को हमने बीबीसी की रिपोर्ट की कॉपी दी है। आप उसे पढ़ लें, जिसमें कश्मीरी खुद अपने मुंह से अपने ऊपर होने वाले जुल्म का बयान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश मीडिया ने कश्मीर में हो रहे जुल्म को बेनकाब किया है। वहां दवाओं की भारी कमी है। कुरैशी ने कहा कि भारत अपने आप को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताता है जबकि वह कश्मीरी बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक बनाना चाहता है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह कश्मीर मसले को हल कराने के लिए दखल दे। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद कश्मीर में प्रतिबंध लगाए गए हैं, लेकिन भारत सरकार ने एक से अधिक बार स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर में अशांति न फैले सके, इसलिए इन प्रतिबंधों को लगाया गया और स्थिति के हिसाब से इनमें अब ढील भी दी जा रही है। 
पाकिस्तान के मानवाधिकार हनन के आरोपों के संदर्भ में यह साफ किया जा चुका है कि बीते दिनों में कश्मीर में एक भी गोली सुरक्षाबलों ने नहीं चलाई है। इसके बावजूद कुरैशी ने यूएनएचआरसी में कहा कि कश्मीर में पैलेट गन के शिकार लोग अस्पताल जाने से डरते हैं। कुरैशी यहीं नहीं रुके। उन्होंने परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए कहा कि कश्मीर में तूफान से पहले की शांति है। भारत एक बार कर्फ्यू हटाकर देखे। कुरैशी ने नियंत्रण रेखा पर भारत द्वारा संघर्षविराम के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर में विदेशी पर्यवेक्षकों को आने की इजाजत दे, जिससे वे खुद हालात का जायज़ा ले सकें। उन्होंने कहा कि वह यूएनएचआरसी से अपील करते हैं कि वह ‘कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का सख्ती से नोटिस ले।’