प्रकाशोत्सव समागमाें में आने के लिए विदेशी सिखों में उत्साह हुआ कम

जालन्धर, 11 अक्तूबर (मेजर सिंह ) : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को मनाए जाने बारे विदेशों में होने वाले समागमों की तैयारियों में चाहे बड़े ज़ोर-शोर से सिख संगत शिरकत कर रही है परंतु 12 नवम्बर को ननकाना साहिब व सुल्तानपुर लोधी में होने वाले समागमों में शामिल होने के लिए आने के लिए पहले जैसा उत्साह व तीव्रता नज़र नहीं आ रही। एक वर्ष पहले जब बाबा नानक का 550वां प्रकाशोत्सव मनाए जाने बारे फैसले हुए थे और विशेषकर पाकिस्तान सरकार ने प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में प्रकाशोत्सव विशेष तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी तो विदेशी सिखों में इन समागमों में शामिल होने बारे एक अलग ही उत्साह व श्रद्धा उमड़ी नज़र आई थी। भारत व पाक सरकार द्वारा फिर बाबा नानक के प्रकाशोत्सव मौके गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए गलियारा खोलने की घोषणा करते हुए तो विदेशी सिखों का जोश नज़र आ रहा था परंतु दो माह पहले भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर प्रदेश को दो केन्द्र प्रशासित राज्याें में बदलने के फैसले से भारत-पाक में पैदा हुए तनाव व प्रकाशोत्सव समागमों पर अपनी-अपनी सरदारी कायम करने के लिए हो रही राजनीतिक बयानबाजी ने विदेशी सिखों में कहीं न कहीं निराशा के बीज बोए हैं और समागमों में शामिल होने के लिए आने वाले बने उत्साह व जोश को कम किया है। इस प्रतिनिधि द्वारा गत दिनों कनाडा की दो सप्ताह के दौरे के दौरान पंजाबियों के साथ की निजी मुलाकातों व अमरीका, इंग्लैंड व कुछ अन्य देशों के सिख धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र में काम करते लोगों के साथ की बातचीत में हासिल जानकारी में उक्त बनी स्थिति सामने आई है। अधिकतर लोगों ने बताया कि दो अढ़ाई वर्ष पहले वह ननकाना साहिब जाने के लिए तैयारी किए हुए थे परंतु 5 अगस्त को कश्मीर बारे लिए फैसले के कारण दोनों देशों में तनाव बढ़ने से कई प्रकार की आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं। कईयों को आशंका है कि यदि वह ननकाना साहिब गए तो शायद भारत के वीज़ा से ही इन्कार न हो जाए और कई लोगों ने युद्ध की अटकलें लगाकर समागमाें में शामिल होने की योजना बदल दी है। ब्रिटिश कोलम्बिया के एक बड़े गुरुद्वारा ने सिखों का बड़ा जत्था लेकर ननकाना साहिब जाने की योजना बनाई हुई थी, परंतु नए हालातों में उन्होंने केवल छोटा प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बनाई है।