इतिहास के झरोखे से ‘अप्रैल फूल डे’

पहली अप्रैल का दिन ‘अप्रैल फूल डे’ के तौर पर मनाया जाता है। अप्रैल फूल यानि मूर्ख बनाने का दिन। आमतौर पर लोग यही मानते हैं, परंतु वास्तव में यह दिन है हंसने और हंसाने का, लोगों में खुशियां बांटने का, तनाव भरी ज़िंदगी में कुछ लम्हे हंसी भरने का और दिल से सारी उदासी भगाने का। यही उद्देश्य है इस दिन का।  इस दिन दूसरों को मूर्ख बनाने की शरारत चलती रहती है। बच्चे, बड़े, नौजवान हों या बूढ़े वह नई-नई योजनाएं, खोजते रहते हैं। इसके लिए बुक्स, लाइब्रेरी, इंटरनेट और अब तो फेसबुक का सहारा भी लिया जाता है। ज़रा याद कीजिए वह पल जब आपने अपने किसी दोस्त, रिश्तेदार को मूर्ख बनाया था और जब वह आपकी बात को सच मान बैठा होगा तो आप ताली पीटकर, ज़ोर की हंसी के ठहाके के साथ ‘अप्रैल फूल बनाया’ कहकर उसके चेहरे पर मीठी मुस्कान लाए होंगे।
संसार भर में लोग इस दिन दूसरों का मज़ाक बनाते हैं। पारम्परिक तौर पर कई देशों में केवल दोपहर 12 बजे तक ही मज़ाक किया जाता है या प्रैक्स खेले जाते हैं। 12 बजे के बाद जो आदमी मज़ाक बनाता है, उसे अप्रैल फूल कहकर चिढ़ाया जाता है। लेकिन अमरीका, आयरलैंड, फ्रांस आदि देशों में पूरा दिन जोक्स चलते हैं। फ्रैंच में इस दिन को ‘पायज़न डी एवरिल’ या ‘अप्रैल फिश’ कहते हैं। फ्रांसीसी बच्चे अपने सहपाठियों की पीठ पर मछली की तस्वीर चिपका देते हैं और जब उस बच्चे को इसकी जानकारी होती है तो बाकी ‘पायज़न डी एवरिल’ चिल्लाते हैं।
‘अप्रैल फूल डे’ का इतिहास 1582 के शुरू में फ्रांस से जुड़ा है। फ्रांस में चार्ल्स नवम् ने 1582 में पुराने जूलियट कैलेंडर की जगह मैमोरियल कैलेंडर अपना लिया, लेकिन कुछ लोगों को इसकी जानकारी नहीं हुई, जिसके चलते वह पहली अप्रैल को ही नया साल मानते रहे। जबकि 1 जनवरी को नया साल घोषित हुआ था। उन्हें ऐसा करते देख दूसरे लोग उनका मज़ाक उड़ाते और उन्हें ‘अप्रैल फूल’ कहकर बुलाते। 
इसलिए किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिये ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। इसके लिए चाहिए साफ नीयत, सही बात तथा अपनों का साथ। तो आइए, इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में जहां हम खुद को भूलते जा रहे हैं, तनाव, ईर्ष्या की दलदल में धंसते जा रहे हैं, कामयाबी का दानव हमें अपने चंगुल से बाहर नहीं आने दे रहा-ऐसे माहौल में हमारी तरफ से किया गया छोटा-सा प्रयास अपनों को दो पल की शांति, सुकून तथा वो खुशी दे जाए जो साल भर उसके लिए मुस्कुराने का सबब बन जाये।
आज समूची दुनिया कोरोना वायरस जैसी नामुराद बीमारी से जूझ रही है, ऐसे में आज ज़रूरत है तनाव से निकलने की तो आओ, हम मिलजुल कर इसका मुकाबला करें और इस बात का ज़रूर ध्यान रखें कि अप्रैल फूल के नाम पर कोई अफवाह न फैलाएं।