आवारा फिरती गायें

आवारा फिरती गऊओं से आजकल सभी वर्गों के लोग परेशान हैं, विशेषकर गांवों के किसान। आवारा गऊओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पहले तो बूढ़ी हो चुकी गऊएं ही आवारा घूमती थीं परन्तु अब देखने में क्या आता है कि बछड़ियों को भी लोग छोड़ने को मज़बूर हो गए हैं। मज़बूरी लोगों की कोई भी हो सकती है परन्तु अधिक मजबूर लोग गऊओं को बार-बार हीट में आना मानते हैं। कुछ विदेशी गायें एच.एफ. तथा अमरीकन अच्छा रहन-सहन तलाशती हैं जो कि आम पशु पालक की पहुंच से दूर होता है। इन विदेशी गऊओं को हमारे देश का वातावरण सही नहीं बैठता। परन्तु जब आवारा गऊओं के कारण सड़क दुर्घटनाओं में किसी की मौत होती है तो उसका दुख वही समझ सकता है जिस परिवार के साथ बीत चुकी हो। अब सरकार और प्रशासन को जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए नहीं तो यह समस्या और भी बड़ा रूप धारण कर सकती है, जिसके परिणाम और भी खतरनाक हो सकते हैं। 

-जसवंत सिंह लखनपुरी