कांग्रेस मुक्त नहीं, कांग्रेस युक्त भारत बना रही है भाजपा !


कांग्रेस में नए युग की शुरुआत हो गई है। कांग्रेस को 24 साल बाद गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष मिला है। हाल ही में सम्पन्न हुए कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में पार्टी के अध्यक्ष चुने गए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस की न सिर्फ कमान संभाल ली है बल्कि उन्होंने स्वतंत्र रूप से कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में निर्णय भी लेने शुरू कर दिए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे की ताजपोशी के लिए कांग्रेस मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में सोनिया गांधी व राहुल गांधी के साथ ही कई कांग्रेसी दिग्गज मौजूद रहे।
मल्लिकार्जुन खड़गे को औपचारिक रूप से कांग्रेस की कमान सौंपने के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी के सामने मौजूद चुनौतियों की चर्चा की और नए अध्यक्ष को बधाई दी। सोनिया गांधी ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से वह स्वयं को राहत महसूस कर रही हूं। सोनिया गांधी ने अपने सहयोग और समर्थन के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का धन्यवाद भी किया। सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की बेहतरी के लिए उन्होंने पूरी क्षमता के साथ काम किया है जिसमें सभी कांग्रेसजन का सहयोग मिला है। इसके लिए वह सदा आभारी रहेंगी। आज पार्टी के सामने देश के लोकतंत्र को लेकर कई चुनौतियां हमारे सामने हैं जिनसे पार पाने के लिए हमें  सफलतापूर्वक रास्ता खोजना होगा। सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के व्यक्तित्व की तारीफ की और साथ ही उनकी नेतृत्व क्षमता को सराहा।
नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के गठन होने तक कांग्रेस संगठन का काम करने के लिए संचालन कमेटी भी गठित की है। 47 सदस्यीय इस कमेटी में पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, पी. चिदंबरम, हरीश रावत, समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल किए गए हैं। लेकिन इसमें पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को जगह नहीं दी गई है। 
खड़गे के नए अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद कांग्रेस कार्य समिति के सभी सदस्यों, महासचिवों और प्रभारियों ने नई टीम बनाने में उनकी मदद के लिए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस में नए अध्यक्ष के चयन के बाद पार्टी के सभी पदाधिकारियों के इस्तीफा देने की परम्परा रही है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संविधान के अनुच्छेद 15 (बी) के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष ने संचालन समिति का गठन किया है। यह कांग्रेस कार्य समिति के स्थान पर कार्य करेगी। सीडब्ल्यूसी कांग्रेस का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है। संचालन समिति अब पार्टी के पूर्ण सत्र में खड़गे के निर्वाचन की पुष्टि तक सभी निर्णय लेगी। इसमें सभी प्रदेश कांग्रेस समिति प्रतिनिधि शामिल होंगे। पार्टी संविधान के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी के 11 सदस्य मनोनीत किए जाएंगे। साथ ही 12 सदस्य निर्वाचित होंगे। इसके अलावा, संसद में पार्टी के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष भी कार्य समिति के पदेन सदस्य होते हैं।
 कांग्रेस का यह चुनाव ऐसे समय हुआ है, जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है। कांग्रेस की इस भारत जोड़ो यात्रा से लोग जुड़ भी रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं के बचकाना बयान व आपसी खींचतान ने कांग्रेस को बार-बार नुकसान पहुंचाया है। दिल्ली से लेकर देहरादून तक कांग्रेस के बड़े नेताओं में अभी भी मनमुटाव खत्म नहीं हुए हैं। 
भाजपा भले ही कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का दावा करे, लेकिन जिस तरह से भाजपा ने चुन-चुन कर कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल कर सत्ता में हिस्सेदार बनाया है , उसे देखकर  लगता है, भाजपा कांग्रेस मुक्त नहीं, कांग्रेस युक्त भारत बना रही है। जिस तरह से कांग्रेस मूल के ए. बीरेन सिंह को मणिपुर में मुख्यमंत्री बनाया गया, उससे तो यही प्रतीत हुआ, कि देश भर में भाजपा, कांग्रेसियों के सहारे ही चुनावी जीत हासिल कर रही है यानी ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के चक्कर में ‘कांग्रेस युक्त भाजपा’ बनती जा रही है। उत्तराखंड में कांग्रेस मूल के सतपाल महाराज, उनकी पत्नी एवं पूर्व मंत्री अमृता रावत, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य, जो अब फिर कांग्रेस में आ चुके हैं, पूर्व मंत्री हरकसिंह रावत भी भाजपा में सत्ता का मजा लेकर लौट चुके हैं। सुबोध उनियाल, प्रणव सिंह चैम्पियन, केदार सिंह रावत, प्रदीप बत्तरा, रेखा आर्य, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य, उत्तर प्रदेश में जतिन प्रसाद, आर.एन. सिंह, पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सिंह आदि भाजपा में जाकर कांग्रेस युक्त भारत का प्रमाण बने हैं। 
जिस तरह से भाजपा में कांग्रेस के नेता शामिल हो रहे हैं, उससे यह कलई भी खुलती है कि भाजपा बेशक कैडर आधारित पार्टी है और संघ इसके लिए नेता तैयार करता है। इसके अलावा भाजपा सदस्यता के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है लेकिन जीत के लिए उसे कांग्रेस से नेता उधार लेने पड़ रहे हैं यानी संघ भाजपा के लिए उतने तेज़ी से नेता नहीं तैयार कर पा रहा है जितना कि कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए ज़रूरी है।
फिलहाल अगर हम एक पार्टी के रूप में भाजपा पर इसके प्रभाव देखें तो भाजपा कार्यकर्ता आज अपने आप को छला गया महसूस करता है। उन्हें लगता है कि लम्बे समय तक पार्टी के लिए मेहनत वो करें और दूसरी पार्टी से कोई भी नेता आकर चुनाव जीत जाता है व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री तक की कुर्सी भी पा लेता है। इसे देख कर यह नहीं कहा जा सकता कि मौजूदा सत्ता में केवल भाजपा है या फिर देश कांग्रेस मुक्त हो जाएगा क्योंकि जिस भाजपा को अपनी सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के नेताओं के सहारे की जरूरत हो, उस कांग्रेस से देश कभी मुक्त हो ही नहीं सकता। (युवराज)