अमानवीय कृत्य

गत दिवस श्रीलंका में हुए भीषण बम विस्फोटों से एक बार फिर समूची दुनिया दहल गई है। अलग-अलग देशों में ऐसे हादसे होते रहते हैं, जिनमें निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं। इन विस्फोटों के बारे में जानकर कई दशक पूर्व मुंबई में होते रहे शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों की याद आ जाती है। गत दिनों न्यूज़ीलैंड जैसे देश में एक ही सम्प्रदाय से संबंधित दो धार्मिक स्थलों पर गोलीबारी की गई थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। जिस तरह श्रीलंका में आत्मघातियों ने एक ही समय एक धर्म के धार्मिक स्थलों पर हमले किए हैं। उससे यह साफ जाहिर होता है कि इसको सोची-समझी बड़ी योजना के तहत अंजाम दिया गया है। श्रीलंका में बौद्धी सिन्हालियों की मुस्लिम और ईसाई सम्प्रदायों से झड़पें होती रही हैं, परन्तु यह झड़पें इतने बड़े दुखांत को जन्म दे सकती हैं, इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। चाहे अभी कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई, परन्तु संदेह आई.एस. से संबंधित संगठनों पर भी प्रकट किया जा रहा है। श्रीलंका समुद्र में भारत का पड़ोसी एक द्वीप है, जिसके भारत के साथ सदियों से संबंध बने रहे हैं। यहां सैकड़ों वर्षों से तमिल मूल के लोग भी बड़ी संख्या में बसे हुए हैं। लगभग एक दशक पूर्व लिट्टे के तमिल गुरीलों द्वारा छेड़े गए बेहद खूनी संघर्ष का अंत हुआ था। यह लड़ाई 26 वर्ष तक चलती रही थी, जिसमें 80,000 के लगभग लोग मारे गए थे। आज भी इस हिंसक संघर्ष की यादें ताज़ा हैं, परन्तु अब इस देश में हुई हिंसा ने एक नया रूप धारण किया है। धर्मों के नाम पर निर्दोष लोगों का खून बहाना बेहद बुरा कृत्य है, जिससे आज दुनिया के अधिकतर देश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान से आतंकवादी की आंधी अक्सर चलती रहती है। इस आंधी ने जहां भारत के कुछ हिस्सों को जलाया है, वहीं पाकिस्तान में हज़ारों लोगों को भी ऐसी हिंसा की भेंट चढ़ाया है। दुनिया भर में ऐसे कृत्यों के विरुद्ध आवाज़ें उठती रही हैं, परन्तु आतंकवादियों की ऐसी गतिविधियों को अब तक प्रभावशाली ढंग से रोका नहीं जा सका। भारत में भी इस घटनाक्रम ने चिन्ता पैदा की है, परन्तु अब वह समय आ गया है कि दुनिया भर के देशों को ऐसे आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर इसको खत्म करना होगा। भारत ने पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों को संरक्षण दे रहे व्यक्तियों के विरुद्ध आवाज़ उठाई है, जहां दुनिया भर के देश भारत के साथ सहमत हुए थे, वहीं चीन जैसा देश अपनी जिद्द पर कायम रहा था। चाहे चीन में भी कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां आतंकवाद की आंधी चलती रही है। अपने पड़ोसी देश में हुए ऐसे दुखांत जिसमें कुछ भारतीय नागरिक भी मारे गए हैं, के संबंध में भारत को हर पक्ष से श्रीलंका की सहायता करने के लिए आगे आना चाहिए। चाहे अब तक ऐसे काले कृत्य करने वालों का विस्तार सामने नहीं आया परन्तु यह प्रतीत होने लगा है कि शीघ्र ही की गई इस समूची योजनाबंदी का विस्तार सामने आ जायेगा और यह भी पता चल जायेगा कि विदेशों में ऐसे संगठन के तार कहां जुड़े हुए हैं, जिस संबंध में योजनाबद्ध ढंग से कार्यवाही की जानी आवश्यक और समय की ज़रूरत बन गई  है। जो देश ऐसे आतंकवादी संगठनों को उत्साहित करते हैं, उनको भगाने का भी समय आ गया है। ऐसे संगठनों को इस तरह का सबक सिखाया जाना चाहिए, जिससे कि इनके आकाओं के हौसले पूरी तरह पस्त हो जाएं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द