मेले पर विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला  

जालन्धर शहर (पंजाब) का प्रसिद्ध श्री सिद्ध बाबा सोढल जी का मेला इस साल भी बड़ी श्रद्धा तथा धूमधाम के साथ मनाये जाने की व्यवस्था की गई है।  श्री सिद्ध बाबा सोढल जी का मेला अनन्त चौदस के शुभ अवसर पर मनाया जाता है। सिद्ध बाबा सोढल जी का मेला एक रात पहले ही शुरू हो जाता है। लोग दूर-दूर से रात को ही मंदिर श्री सिद्ध बाबा सोढल में माथा टेकने और बाबा जी के दर्शन करने के लिए पहुंचने शुरू हो जाते हैं। लाखों की संख्या में लोग देश तथा विदेशों से पहुंच कर मंदिर श्री सिद्ध बाबा सोढल में जाकर श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं और खुशी मनाते हैं। दिन-ब-दिन, साल-दर-साल श्री सिद्ध बाबा सोढल जी की मान्यता बढ़ती जा रही है। विशेषकर इस मेले में देश-विदेश से चड्डा बिरादरी के लोग तो बड़ी संख्या में आते हैं। मेला श्री सिद्ध बाबा सोढल चड्डा बिरादरी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
श्री बाबा सोढल जी का जन्म चड्डा परिवार में हुआ था। बताया जाता है कि उनकी आयु जब मात्र 5 वर्ष की थी कि एक दिन बाबा जी की माता जी उनको साथ लेकर मंदिर के पास ही स्थित तालाब में किनारे पर बैठकर कपड़े धोने के लिए गईं। आज यह वही तालाब है जहां मंदिर श्री सिद्ध बाबा सोढल स्थापित है। बाबा सोढल की माता जी जब कपड़े धो रही थीं तो तालाब के किनारे बाबा सोढल जी खेल रहे थे। खेलते-खेलते बाबा सोढल जी तालाब के गहरे पानी में चले गये। माता जी रोने-कुरलाने लगीं। कुछ देर बाद बालक सोढल प्रकट हुए किन्तु आधे नाग शरीर के साथ। मंदिर में बाबा सोढल जी का यही स्वरूप दिखाया गया है। प्रकट होने के बाद वह अपनी माता से कहने लगे, माता जी, आप रोइये नहीं। मैं इसी तालाब में समा गया हूं और अब से यहीं रहूंगा। जो भी आज के दिन मेरे दर्शन करके मेरी पूजा करेगा, मैं उसकी मनोकामना (मन्नत) पूरी करूंगा।  तब से दुनिया भर से चड्ढा बिरादरी के लोग श्री सिद्ध बाबा सोढल जी की पूजा करके बाबा जी का आशीर्वाद लेते हैं।  मंदिर पहुंच कर मट्ठी का प्रसाद चढ़ाते हैं और गाजे-बाजे के साथ मन्नत पूरी होने की खुशी में झूम-गा कर मंदिर में जाते हैं। बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं। खेतरी भी बीजते हैं और मेले वाले दिन मंदिर श्री सिद्ध बाबा सोढल में इस खेतरी को प्रवाहित करने हेतु ले कर जाते हैं। मेले की मान्यता और लोकप्रियता इसको देखते ही बनती है।