महानता और शौर्य का प्रतीक सिकंदर

23 शताब्दियों पहले के विश्व विजेता सम्राट सिकंदर ने अपने शौर्य व महानता का जो उजास बिखेरा था, इतना अरसा गुजरने के बाद आज भी वह आंखों को चौंधियाता है। सिकंदर का नाम लोग वीरता, महानता और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ‘मुकद्दर का सिकंदर’ पूरी दुनिया में एक प्रचलित मुहावरा है। सिकंदर का जन्म ईसापूर्व 356 में पेला, मैसेडोनिया में हुआ था। यह मैसेडोनिया आज उत्तरी यूनान का हिस्सा है। उसके पिता फिलिप मैसेडोनिया के राजा थे। सिकंदर की मां का नाम ऑलम्पियस था। सिकंदर के जन्म के साथ भी कई सौभाग्यपूर्ण संयोग जुड़े थे। मसलन जिस समय राजा फि लिप को सिकंदर के जन्म का समाचार मिला ठीक उसी समय उनके दूत यह समाचार भी लाये थे कि मैसेडोनिया के सेनापति पारमीनियन ने युद्ध में इलीटियंस को हरा दिया है। सिकंदर के पिता फिलिप को ज्योतिषियों ने बताया उनका पुत्र युद्ध में अजेय रहेगा। आगे चलकर ज्योतिषियों की भविष्यवाणी सच साबित हुई। सिकंदर अब तक के इतिहास का सबसे महान योद्धा साबित हुआ। सिकंदर महान के नाम से विख्यात उसने तब तक की ज्ञात दुनिया का दो-तिहाई हिस्सा जीत लिया था। वह भी महज 32 साल तक की उम्र में। उसके विजय अभियानों ने मिस्र और मध्यपूर्व में यूनानी विचारों और सभ्यता का विस्तार किया।वह कितना महान योद्धा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिकंदर 18 साल की उम्र में मिलिट्री कमांडर बन गया था। 20 साल की उम्र में वह यूनान, मध्यपूर्व और मिस्र का राजा बन चुका था, 28 साल में उसने समूचे पर्सियन साम्राज्य को जीत लिया था और 32 साल में उसकी मौत हो गयी। सिकंदर इतिहास में अद्वितीय है। उसकी तुलना सिर्फ उसी से हो सकती है। नेपोलियन ने सिकंदर को सार्वकालिक महान सात योद्धाओं में सबसे महान योद्धा माना था।