एशियाई देशों के लिए बड़ी समस्या बने रोहिंग्या

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे के सामाधान के लिए भारत की ओर ताक रही हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या के हल के लिए भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। बांग्लादेश में रह रहे 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी देश के लिए भारी बोझ के साथ एक चुनौती के रूप में भी पेश आ रहे हैं। भारत के साथ मिलकर शेख हसीना इस समस्या का सामाधान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बात करके इनके मूल देश म्यांमार में वापसी की राह खोज रही हैं, लेकिन यहां सोचने की बात है कि जो भारत अपने यहां घुसे लगभग 40 हज़ार रोहिंग्याओं की समस्या का निदान नहीं कर पा रहा है, वह बांग्लादेश के लाखों रोहिंग्याओं का हल कैसे निकाले? अब जो संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतर्राष्ट्रीय विवादों के हल के लिए बड़ी संस्थाएं थीं, वे भी पिछले एक दशक से अप्रासंगिक नज़र आ रही हैं। इस संस्था के पास सलाह देने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा है। 
म्यांमार में दमन के बाद करीब एक दशक में रोहिंग्या मुस्लिम भारत, नेपाल, बांग्लादेश, थाइलैंड, इंडोनेशिया, पाकिस्तान सहित 18 देशों में जा पहुंचे हैं। एशिया में जिन देशों में इनकी घुसपैठ हुई है, उनमें से छह देशों की सरकारों के लिए ये परेशानी का सबब बने हुए हैं। भारत में इनको लेकर कई दिक्कतें पेश आ रही हैं। देश में इनकी मौजूदगी से एक तो आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं, दूसरे इनके तार आतंकियों से भी जुड़े पाए गए हैं। प्रतिबंधित कट्टरपंथी पीएफआई संगठन से इनके संबंधों की तस्दीक हो चुकी है। नतीजतन देश में कानून व्यवस्था की चुनौती खड़ी हो रही है। अलबत्ता कुछ लोग और संगठन ऐसे भी हैं, जो इन्हें भारत के मूल निवासी बनाने हेतु दस्तावेज बनवाने में लगे हैं, जबकि बांग्लादेश के घुसपैठिए पहले से ही मुसीबत बने हुए हैं। रोहिंग्याओं ने कमोवेश यही स्थिति बांग्लादेश में बनाई हुई है। ये स्थानीय संसाधनों पर लगातार काबिज़ होते जा रहे हैं।  
भारत में गैर-कानूनी ढंग से घुसे रोहिंग्या किस हद तक खतरनाक साबित हो रहे हैं, इसका खुलासा अनेक रिपोर्टों में हो चुका है इसके बावजूद भारत के कथित मानवाधिकारवादी इनके बचाव में बार-बार आगे आ जाते हैं। जबकि दुनिया के सबसे बड़े और प्रमुख मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि म्यांमार से पलायन कर भारत में शरणार्थी बने रोहिंग्या मुसलमानों में से अनेक ऐसे हो सकते हैं, जिन्होंने म्यांमार के अशांत रखाइन प्रांत में हिंदुओं का नरसंहार किया? रोहिग्ंयाओं ने अगस्त, 2017 को इस प्रांत के दो ग्रामों में 99 हिंदुओं की निर्मम हत्या कर दी थी। रोहिंग्या आतंकियों ने अगस्त 2017 में रखाइन में पुलिस चैकियों के साथ म्यांमार के गैर-मुस्लिम बौद्ध और हिंदुओं पर कई जानलेवा हमले किए थे। इस हमले में हज़ारों बौद्ध और हिंदु मारे गए थे। नतीजतन म्यांमार सेना ने व्यापक स्तर पर आतंकियों के खिलाफ  अभियान चलाया। जिसके परिणामस्वरूप करीब 15 लाख से ज्यादा रोहिंग्याओं को पलायन करना पड़ा। इनमें से 40,000 से ज्यादा भारत में घुसपैठ करके शरण पाने में सफल हो गए, शेष बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, थाईलैंड और नेपाल चले गए थे। मुस्लिम देश होने के बावजूद इंडोनेशिया इनके अपराधिक चरित्र से परेशान है, अतएव वह इन्हें निकालने में लगा है। 
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के अनुसार हमारे यहां अधिकांश रोहिंग्या ड्रग एवं महिला तस्करी जैसे अपराधों में लिप्त हैं। जो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन गए हैं। बांग्लादेश में लगभग 10 लाख रोहिंग्या संकट का सबब बने हुए है। थाईलैंड में 92 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों ने शरण ली हुई है। इनमें से 13 हज़ार को वापस भेजा जा चुका है। भारत की सख्ती के चलते कुछ रोहिंग्या घुसपैठ में असफल होकर नेपाल चले गए हैं। यहां इन्हें जिहादी गुटों से आतंक को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आर्थिक मदद मिल रही है। पाकिस्तान में भी करीब अढ़ाई लाख रोहिंग्या पहुंचे गए हैं। इनमें से ज्यादातर को आतंकवाद का प्रशिक्षण देकर बांग्लादेश की सीमा से भारत में टुकड़ियों में प्रवेश करा दिया जाता है। 
हैरानी होती है कि इन घुसपैठियों को कुछ लोग एवं गिरोह भारत की नागरिकता का आधार बनाने के लिए मतदाता पहचान-पत्र, आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बनवा कर दे रहे हैं, जिससे इन्हें भारत के नगरों में बसने में कोई परेशानी न हो। दूसरी तरफ  केन्द्र सरकार ने पिछले साल ही रोहिंग्या मुसलमानों को देश में नहीं रहने देने की नीति पर शीर्ष अदालत में एक हलफनामा देकर साफ  किया था कि रोहिंग्या गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल हैं। ये अपने साथियों के लिए फर्जी पेनकार्ड, वोटर आईडी और आधार कार्ड उपलब्ध करवा रहे हैं। कुछ रोहिंग्या मानव तस्करी में भी लिप्त हैं। देश में करीब 40,000 रोहिंग्या रह रहे हैं, जो सुरक्षा में सेंध लगाने का काम कर रहे हैं। 
देश में जो बौद्ध धर्मावलंबी हजारों साल से शांतिपूर्वक रह रहे हैं, उनके लिए भी ये समस्या बन सकते हैं। 2015 में बोधगया में हुए बम विस्फोट में पाकिस्तान स्थित आंतकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने रोहिंग्या मुस्लिमों को आर्थिक सहायता व विस्फोटक सामग्री देकर घटना को अंजाम दिया था।  संसद में दी गई जानकारी के अनुसार सभी राज्यों को रोहिंग्या सहित सभी अवैध शरणार्थियों को वापस भेजने का निर्देश दिया है। सुरक्षा खतरों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। आशंका जताई गई है कि जम्मू के बाद सबसे ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी हैदराबाद में रहते हैं। केन्द्र और राज्य सरकारें जम्मू-कश्मीर में रह रहे म्यांमार के करीब 15,000 रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करके उन्हें अपने देश वापस भेजने के तरीके तलाश रही है। रोहिंग्या मुसलमान ज्यादातर जम्मू और साम्बा जिलों में रह रहे हैं।  अतएव शेख हसीना भारत से इसका सामाधान ढूंढने के लिए कह रही हैं और साथ ही कहा है कि इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के साथ स्थानीय स्तर पर भी इनकी वापसी के ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे वे अपने मूल देश म्यांमार का रास्ता पकड़ लें। 
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