नया रोड सेफ्टी एक्शन प्लान निर्माण कम्पनियों, ठेकेदारों की तय होगी ज़िम्मेदारी 

 

देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लेकर लगता है अब सरकार गंभीर हो गई है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने गत 13 जनवरी को नए रोड़ सेफ्टी एक्शन प्लान को लागू कर दिया है। इसके तहत देश के मौजूदा हाईवे, मरम्मताधीन हाईवे और नए बनने वाले हाई-वे को दुर्घटना मुक्त बनाने के लिए ज़िम्मेदारों को ज़िम्मेदार बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि इससे जुड़े सभी अधिकारी, कम्पनियों और ठेकेदारों की भी ज़िम्मेदारी तय की गई है कि वे सड़क बनाते समय आवश्यक मानकों का ध्यान रखने के साथ ही इस तरह से निर्माण तकनीक अपनाएं ताकि डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक सड़क दुर्घटना मुक्त हो सके। दरअसल देश में सड़क हादसे साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं। खास बात यह है कि अब दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या की तुलना में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। हांलाकि दुर्घटना रहित यात्रा हो यही सुकून भरा हो सकता है। अब तो समाचार पत्र सड़क हादसों की खबरों से भरे रहते हैं। सड़क दुर्घटनाओं के कई कारणों में से लापरवाही तो प्रमुख कारण है ही इसके साथ ही हाई-वे निर्माण में रही खामियां भी बड़ा कारण बनती जा रही है। निर्माण के समय इस तरह के कट या अन्य पेच छोड़ दिए जाते हैं जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। 
दरअसल जिस तरह से तेज गति के वाहनों की रेलमपेल हुई है, ठीक उसी तरह से देश में सड़कों का जाल भी फैला है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हाईवेज़ ने यातायात को सुगम तथा समय व पैसे की बचत की है परन्तु तेज गति के वाहन थोड़ी सी लापरवाही के कारण स्वयं व दूसरे की असामयिक मौत के कारण बन जाते हैं। हांलाकि दुर्घटनाग्रस्त लोगों तक तत्काल उपचार पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। टोल नाकों पर एम्बूलेंस तैनात की गई है तो हाई-वे पर ट्रोमा सेंटर निर्धारित किए गए हैं। पर यह सब नाकाफी इस मायने में सिद्ध हो रहे हैं कि नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा 2021 की जारी हालिया रिपोर्ट में दुर्घटनाओं के बढ़ने और दुर्घटना में अधिक मौत होना सामने आया है। 
नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में 2021 के सड़क हादसों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में देश में 4 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। इन सड़क दुर्घटनाओं में 3 लाख 71 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं तो एक लाख 55 हज़ार 662 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। यह इससे पहले की साल में सड़क दुर्घटना में हुई मौतों से अधिक है। यदि इसे आंकड़ों की ही भाषा में समझे तो देश में 2021 में हर घंटे 18 लोग सड़क दुर्घटना के कारण मौत के शिकार हो रहे हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि केन्द्र व राज्य की सरकारें इसे लेकर गम्भीर हैं और अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं। चिंता की बात यह है कि अभी तक परिणाम अधिक सकारात्मक नहीं आए हैं। यही कारण है कि नए रोड़ सेफ्टी एक्शन प्लान को कहीं दूर रोशनी की तरह देखा जा रहा है। 
हांलाकि नए रोड सेफ्टी प्लान में हाईवे की सड़कों की खामियों को ही लिया गया है और इसके लिए ज़िम्मेदारों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा रही है। जूनियर इंजीनियर्स को क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) बनाया जा रहा है और समग्र रूप से 250 किमी तक की ज़िम्मेदारी प्रत्येक आरओ को दी जा रही है। इन्हें 24 घंटे के भीतर दुर्घटना की जानकारी सबमिट करनी होगी। वहीं खास बात यह कि निर्माण के समय विशेष सतर्कता बरतनी होगी जिससे आवागमन दुर्घटना रहित हो सके। खास बात यह कि आरओ इस 250 किमी के दायरे में सुरक्षा मापदंड सुनिश्चित करेंगे। उनकी ज़िम्मेदारी होगी उनके क्षेत्र में दुर्घटनाओं को रोका जाए। पहले अस्थाई सुरक्षा मानक उपाय लागू करेंगे और फिर उन्हें मूर्त रूप देंगे। 
देखा जाए तो जैसे-जैसे आवागमन के साधन बढ़े हैं और यातायात सुगम हुआ है वैसे-वैसे दुर्घटनाएं अधिक बढ़ती जा रही हैं। एक तो अब वाहन तकनीक में तेज़ी से बदलाव आया है। लाख सेफ्टी का दावा करने के बावजूद अधिक सेफ्टी वाले वाहन में दुर्घटनाओं के समय अपने दावों पर खरे नहीं उतरते। स्टार्ट करते ही फर्राटा भरने वाले वाहन आने से लोग अधिक लापरवाही करने लगे हैं। अधिक गति के कारण वाहन पर नियंत्रण हट जाता है और दुर्घटना हो जाती है। देखा गया है कि ज्यादातर दुर्घटनाएं सायं  6 बजे से रात 9 बजे के बीच या फिर सुबह चार-पांच बजे के आसपास ही होती हैं। एक तो धुंधलका और दूसरी झपकी इसका एक कारण तो हैं ही इसके अलावा ओवर स्पीड आम होती जा रही है। 
 इसके अलावा यातायात नियमों के पालना के प्रति गंभीर नहीं होना भी प्रमुख कारण है। खैर यह सब तो है परन्तु आशा निश्चित रूप से नए रोड सेफ्टी एक्शन प्लान से जहां एक ओर ज़िम्मेदारों की जिम्मेदारी तय होगी वहीं दुर्घटनाओं में भी कमी आयेगी। ऐसा माना जा सकता है।